हार कर भी जीत गई मेरीकॉम
एमसी मेरीकॉम बुधवार को अपना सेमिफाइनल का मैच हार गई। इस हार के साथ ही मुक्केबाजी में स्वर्ण का सपना अधूरा रह गया। मेरीकॉम को ब्रिटेन की मुक्केबाज निकोला एडम्स ने 11-6 से शिकस्त दी। मेरीकॉम ने सोमवार को खेले गए क्वार्टर फाइनल मुकाबले में ट्यूनीशिया की मारुआ राहाली को 15-6 से हराया था, लेकिन 5.5 फीट लंबी निकोला के सामने 5.2 फीट लंबी मेरीकॉम की एक न चली। मजबूत कद काठी की निकोला ने पहले दौर में ही मेरीकाम पर बढ़त बना ली थी।
पहले दौर की समाप्ति के बाद स्कोर निकोला के पक्ष में 3-1 था। दूसरे दौर की समाप्ति के बाद स्कोर निकोला के पक्ष में 5-2 हो गया था और तीसरे दौर की समाप्ति के बाद निकोला ने 8-4 की मजबूत बढ़त हासिल कर ली थी। पहली बार ओलंपिक में शामिल महिला मुक्केबाजी में मेरीकॉम ने 51 किलो फ्लाईवेट में कांस्य पदक जीत कर अपनी सफर खत्म किया।
मेरीकॉम यह मैच हार कर भी बहुत कुछ जीत गई। मेरीकॉम के कांस्य पदक को लेकर भारत के चार पदक हो गए । एक रजत और 3 कांस्य। जो भारतीय ओलंपिक इतिहास में सबसे ज्यादा हैं। इससे पहले भारत ने 2008 में तीन पदक जीते थे। 2008 में भारत को एक स्वर्ण पदक मिला था, लेकिन इस साल भारत को अभी भी स्वर्ण पदक का इंतजार है। इस जीत के साथ ही मेरीकॉम तीसरी भारतीय महिला बन गई हैं। जिन्होंने ओलंपिक में पदक जीता है। इससे पहले करनाम मलेश्वरी, सायना नेहवाल ने ओलंपिक में पदक जीता था। सबसे मजेदार बात यह है कि तीनों ने ही कांस्य पदक जीते हैं।
पांच बार विश्व मुक्केबाजी चैम्पियन रही मेरीकॉम का जन्म एक मार्च 1983 को मणिपुर में हुआ था। मेरीकॉम इकलौती महिला मुक्केबाज हैं जिन्होंने सभी 6 विश्व चैम्पियनशिप में पदक जीता है। उन्होंने अपने अंतरराष्ट्रीय करिअर की शुरूआत एआईबीए महिला विश्व मुक्केबाजी प्रतिस्पर्धा से किया। अपने अंतरराष्ट्रीय करिअर की शुरूआत से ही उन्होंने दुनिया पर अपनी छाप छोड़ दी। इस प्रतियोगिता में उन्होंने रजत पदक अपने नाम किया।
मुक्केबाजी में देश का नाम ऊंचा करने वाली मेरीकॉम को भारत सरकार ने वर्ष 2003 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया। वर्ष 2006 में उन्हे पद्मश्री से सम्मानित किया गया। जुलाई 29, 2009 को वे भारत के सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार के लिए (मुक्केबाज विजेंदर कुमार तथा पहलवान सुशील कुमार के साथ) चुनीं गयीं।
एमसी मेरीकॉम का पूरा नाम मैंगते चंग्नेइजैंग मैरीकॉम है। जिस तरह वे मुक्केबाजी के रिंग में कुशल प्रदर्शन करती हैं। उसी तरह वे अपना परिवार भी कुशलता से संभालती हैं। उनके जुड़वां बच्चे हैं।
पहले दौर की समाप्ति के बाद स्कोर निकोला के पक्ष में 3-1 था। दूसरे दौर की समाप्ति के बाद स्कोर निकोला के पक्ष में 5-2 हो गया था और तीसरे दौर की समाप्ति के बाद निकोला ने 8-4 की मजबूत बढ़त हासिल कर ली थी। पहली बार ओलंपिक में शामिल महिला मुक्केबाजी में मेरीकॉम ने 51 किलो फ्लाईवेट में कांस्य पदक जीत कर अपनी सफर खत्म किया।
मेरीकॉम यह मैच हार कर भी बहुत कुछ जीत गई। मेरीकॉम के कांस्य पदक को लेकर भारत के चार पदक हो गए । एक रजत और 3 कांस्य। जो भारतीय ओलंपिक इतिहास में सबसे ज्यादा हैं। इससे पहले भारत ने 2008 में तीन पदक जीते थे। 2008 में भारत को एक स्वर्ण पदक मिला था, लेकिन इस साल भारत को अभी भी स्वर्ण पदक का इंतजार है। इस जीत के साथ ही मेरीकॉम तीसरी भारतीय महिला बन गई हैं। जिन्होंने ओलंपिक में पदक जीता है। इससे पहले करनाम मलेश्वरी, सायना नेहवाल ने ओलंपिक में पदक जीता था। सबसे मजेदार बात यह है कि तीनों ने ही कांस्य पदक जीते हैं।
पांच बार विश्व मुक्केबाजी चैम्पियन रही मेरीकॉम का जन्म एक मार्च 1983 को मणिपुर में हुआ था। मेरीकॉम इकलौती महिला मुक्केबाज हैं जिन्होंने सभी 6 विश्व चैम्पियनशिप में पदक जीता है। उन्होंने अपने अंतरराष्ट्रीय करिअर की शुरूआत एआईबीए महिला विश्व मुक्केबाजी प्रतिस्पर्धा से किया। अपने अंतरराष्ट्रीय करिअर की शुरूआत से ही उन्होंने दुनिया पर अपनी छाप छोड़ दी। इस प्रतियोगिता में उन्होंने रजत पदक अपने नाम किया।
मुक्केबाजी में देश का नाम ऊंचा करने वाली मेरीकॉम को भारत सरकार ने वर्ष 2003 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया। वर्ष 2006 में उन्हे पद्मश्री से सम्मानित किया गया। जुलाई 29, 2009 को वे भारत के सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार के लिए (मुक्केबाज विजेंदर कुमार तथा पहलवान सुशील कुमार के साथ) चुनीं गयीं।
एमसी मेरीकॉम का पूरा नाम मैंगते चंग्नेइजैंग मैरीकॉम है। जिस तरह वे मुक्केबाजी के रिंग में कुशल प्रदर्शन करती हैं। उसी तरह वे अपना परिवार भी कुशलता से संभालती हैं। उनके जुड़वां बच्चे हैं।
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