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महिला पत्रकारों ने बदला खेल पत्रकारिता का परिदृश्य



एकता खनगवाल

डॉ. स्मिता मिश्र खेल पत्रकारिता पर अपने अनुभव साझा करते हुए


भारत में इस समय खेल और खेल पत्रकारिता लगातार परिवर्तन के दौर से गुजर रही है। इसी बदलते परिदृश्य पर अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेले में इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन और स्पोर्ट्स क्रीड़ा के संयुक्त तत्वाधान में चर्चा गोष्ठी आयोजित की गई। इस चर्चा में उपस्थित देश के चर्चित कमेंटेटर नोवी कपाड़िया ने भारत में खेल पत्रकारिता के इतिहास पर रोशनी डाली। उन्होंने कहा कि भारत में खेल पत्रकारिता का स्वरूप बहुत ज्यादा बदला है। अब खेल और खिलाड़ी दोनों के पास पैसा आ रहा है, वहीं खेल पत्रकारिता में सूचना प्रौद्योगिकी के कारण जहां सुविधा हुई हैं, वहीं चुनौतियां भी बढ़ी है। 

लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के डॉ. सुरेश कुमार लौ ने खेल में प्रायोजन की बढ़ती स्थिति को रेखांकित करते हुए कहा कि खेल में पैसा स्पांसरशिप से आया है और इसमें टीवी मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका है। स्पोर्ट्स क्रीड़ा की संपादिका डॉ. स्मिता मिश्र ने खेल के मैदान और खेल पत्रकारिता में महिलाओं की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए उनके समक्ष आने वाली चुनौतियों पर भी बात की। उन्होंने सायना नेहवाल और सानिया मिर्जा को भारतीय लड़कियों के समक्ष आदर्श स्थापित करने वाली खिलाड़ी बतायाडॉ मिश्र ने खेल पत्रकारिता में अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि खेल के मैदान के अन्दर और उसे कवर करने वाली महिला पत्रकारों को मेल गेज़का मुकाबल करना होता है I     

खेल पत्रकार रौशन झा ने खेल-पत्रकार की सीमाएं उद्घाटित करते हुए कहा कि उनके पास सही सूचनाओं का अभाव रहता है, साथ ही निरर्थक सूचनाओं का भरमार रहती है जिससे कंटेट चयन में उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है। खेल लेखक वरूण लौ ने योरोपियन प्रीमियर लीग का उल्लेख करते हुए खेल के विकास में स्पोर्ट्स मर्चेडाइजिंग पर बात की। अल्ट्रा मैराथन के अंतरराष्ट्रीय धावक कैरन डिसूजा ने इस खेल में पैसों के अभाव पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि मीडिया साहसिक खेलों की कवरेज पर ध्यान नहीं देता जिससे इन खेलों में पैसा नहीं आता।
नेशनल क्लाइंबर प्रेरणा डांगी ने खेलों में लड़कियों द्वारा अनुभव की जाने वाली परेशानियों का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि महिला खिलाड़ियों को पुरुष वर्चस्व वाले खेलों में अपनी जगह बना पाना बहुत कठिन होता है। क्योंकि महिलाओं का शरीर स्वाभाविक रूप से लचीला होता है जिसके कारण वाल-क्लाइम्बिंग में आगे चलकर अड़चन आती है।

कार्यक्रम संचालन रक्षा-विशेषज्ञ पत्रकार मयंक सिंह ने भारतीय खेल और खिलाड़ी के लिए वर्तमान समय को अनुकूल बताया और कहा कि दोनों के साथ चलने से ही खेल आगे बढ़ेगा। इस अवसर पर स्पोर्ट्स क्रीड़ा ने नवीन अंक का लोकार्पण भी किया गया।

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