खेलों के जरिये महिला सशक्तिकरण
स्मिता मिश्र
मार्च का महीना महिला सशक्तिकरण के नाम होता है। इस माह में महिलाओ की उपलब्धियों को रेखांकित किया जाता है। पर पिछले कुछ समय में महिलाएं मार्च ही नहीं बल्कि पूरे वर्ष भर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही है। वे समाज में प्रत्येक क्षेत्र में आगे आ रही है और नेतृत्व कर रही है। बात अगर खेल के क्षेत्र की करे तो देखेंगे कि खेल के मैदान पर पहले पुरुषो का ही वर्चस्व रहा। लड़किया घर की चारदीवारी के अन्दर ही घर-घर और गुडिया से खेलती रही। किन्तु धीरे धीरे वह घर की चारदीवारी से बाहर निकल कर खेल के मैदान पर अपनी उपस्थिति दर्ज करने लगी। कुछ समय पहले किसी आम व्यक्ति को शायद ही किसी महिला खिलाड़ी पता हो। महिलाओं के लिए खेल की दुनिया से आदर्श के नाम पर केवल पीटी उषा का ही नाम गिनाया जाता था। माता-पिता अपनी बेटियों को खेल के मैदान में भेजना नहीं चाहते थे। आदर्श की कमी, खेल और खिलाडि़यों की कम जानकारी के कारण लड़कियां भी खेल से परहेज करती थी। लेकिन आज वही आम व्यक्ति अपनी बेटी को खिलाड़ी बनाना चाहता है। सायना नेहवाल और मेरिकोम की ओलिंपिक उपलब्धि के कारण स्कूल की लड़कियों के सामने उनके आदर्श है और वे उनकी तरह बनना चाहती है। आज सानिया मिर्जा, दीपिका कुमारी, दीपा फोगट, अलका तोमर आदि महिला खिलाड़ियों के नाम आम लोगों की जुबान पर है।
यह बात केवल कहने की नहीं है। महिला खिलाडियों पर केन्द्रित दिल्ली विश्वविद्यालय की एक शोध परियोजना के सिलसिले में मुझे कई गांवों और शहरों में जाने का मौका मिला। यह जानकर काफी मुझे आश्चर्य और खुशी हुई कि माता-पिता अपनी बेटियों को खिलाड़ी बनाना चाहते हैं। जब हम हरियाणा के पकस्मा गाँव के एक स्कूल में गए और उनसे पूछा कि वे क्या बनना चाहती है तो उनकी जुबान पर एक ही महिला खिलाड़ी का नाम था-सायना नेहवाल। जो यह साबित करने के लिए काफी था कि आज जिन महिला खिलाडि़यों ने अपने दम पर कामयाबी हासिल की है वह आने वाली पीढ़ी के लिए सूर्य का काम कर रही है।
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ReplyDeletePlease delete it "22" by mistake it is typed.
DeleteNice blog post on social work for the common people. Manisha Bapna is providing manisha bapna. She is doing Social services for women, children and needy person.
ReplyDeleteमैंने आपका ब्लॉग को पढ़ा है, यह बहुत आकर्षक और प्रभावशाली है | मुझे यह तुम्हारा ब्लॉग पसंद है
ReplyDeleteमनीषा बापना मध्यप्रदेश में महिला सशक्तिकरण के लिए काम कर रही हैं। वह बच्चों, युवा लड़कियों और महिलाओं को अच्छे स्पर्श और बुरा स्पर्श के बारे में भी जानकारी प्रदान करती है। महिलाओं को लिए बेहतर स्थिति प्रदान करने के लिए डॉ. मनीषा बापना महिला सशक्तिकरण के लिए काम करती हैं।