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खेल और अनियोजित आर्थिक घोषणाएं


डा. ज्ञान प्रकाश

राष्ट्रमंडल खेल की तर्ज पर ही खेल मंत्रालय ने जब लंदन ओलम्पिक की तैयारियों के लिए 259 करोड़ रुपये की बड़ी राशि खर्च करने की घोषणा की तो अपनी इस घोषणा के सन्दर्भ में खेल मंत्रालय ने लगभग हर समारोह में खूब वाह-वाही लूटी। हमारे भारतीय लोकतंत्र में घोषणाएं तो बहुत होती हैं लेकिन सही अंजाम तक कम ही पहुंच पाती हैं। यही हश्र्र इस घोषणा का भी हुआ, घोषित राशि में से मात्र 150 करोड़ रुपये ही व्यय हो पाए। शेष राशि खेल मंत्रालय को वित्त मंत्रालय से मांगने की आवश्यकता ही नहीं पड़ी। सही अर्थों में तो 259 करोड़ रुपये की बड़ी राशि देश में खेल एवं खिलाडि़यों का कल्याण करने के लिए पर्याप्त साबित होनी चाहिए थी। परंतु ऐसा नहीं हो सका, इसके पीछे सबसे बड़े कारण प्रतीत होता हैं खेल मंत्रालय के पास ठोस नियोजन का आभाव और योजनाओं का लाभ उठा पाने में खेल संघों की अक्षमता। इसके दुष्परिणाम इस प्रकार सामने आए की ओलंपिक से पहले गुआंग झू ऐशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता एथलीट जोसेफ अब्राहम विदेशी दौरे पर नहीं जा सके और ओलंपिक के लिए क्वालिफाइ नहीं कर पाए।

शूटर जयदीप कर्माकर को भी राशि जारी करने में काफी देरी हुई। इन बातों पर खेल मंत्रालय का तर्क था कि खेल संघों की योजना के आधार पर ओलंपिक की तैयारियों पर धन का व्यय होना था। खेल संघों की मांगों के आधार पर उन्हे राशि जारी की गयी। सर्वाधिक धन टीमों के 146 विदेशी दौरों पर 70.5 करोड़ रुपये खर्च हुए। जबकि तैयारियों के लिए लगाए गये 103 कैंपों पर 65 करोड़ रुपये खर्च किए गए। ओलंपिक की इन तैयारियों के लिए 945 कैंपों पर 129 भारतीय कोच व 21 विदेशी कोच तथा 65 स्पोट्र्स स्टाफ को लगाया गया। 27 खिलाड़ियों पर एनएसडीएफ के माध्यम से 10 करोड़ रुपये व्यय किए जा सके जिसमें सर्वाधिक खर्च शूटिंग पर लगभग 23 करोड़ रुपये हुआ। ओलंपिक में अंतिम स्थान पर रहने वाली हॉकी पर 19 करोड़ रुपये खर्च हुए। ऐसा ही हश्र राष्ट्रमंडल खेल के समय भी हुआ था जब खेल मंत्रालय द्वारा 678 करोड़ रुपये की घोषणा खिलाडि़यों की तैयारियों के लिए की गई थी। परन्तु आधी राशि भी व्यय नहीं की जा सकी और लगभग साढ़े तीन सौ करोड़ रुपये से अधिक वित्त मंत्रालय को वापस करने पड़े। कम से कम ऐसी स्थिति में हम अपने देश में खेलों के विकास एवं अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में उच्च स्तरिय निष्पादन की उम्मीद नहीं कर सकते। अन्य क्षेत्रों की तरह क्रीड़ा क्षेत्र में भी उच्चतम लक्ष्यों को तभी प्राप्त किया जा सकता है जब ठोस, व्यावहारिक एवं प्रभावशाली नियोजन हों ना कि अनियोजित घोषणाएं।

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