साई से पंगा हो गया दंगा
कुलविंदर सिंह कंग
भारतीय हॉकी की
उन्नति का रास्ता बड़ा ही ऊबड़ खाबड़ है, उसके राहु केतु हमेशा उल्टी दिशा में ही
चलते हैं। एचआईएल की सफलता के बाद बड़ी मुश्किल से तो हॉकी की गाड़ी लुढ़कती हुई
लग रही थी। इस देश के पहले सरदार की बजाय हॉकी का सरदार अब ज्यादा असरदार लगने लगा
था कि अचानक इसके कार्बोरेटर में फिर से कचरा आ गया। कचरा आया नहीं बल्कि हॉकी के
सिर के सांई यानी साई अर्थात स्पोर्ट्स अथारिटी ऑफ इँडिया ने अपनी कलम से कचरा डाल
कर हॉकी की लुढ़कती सी गाड़ी को रोक दिया। साई ने कह दिया सुल्तान अजलान शाह हॉकी
टूर्नामेंट के लिए भारतीय टीम के लिए वे हवाई टिकट के पैसे नहीं देंगे। जाओ जो
करना है कर लो। खर्चीले कहीं के। पहले ही लिमिट से ज्यादा खर्चा कर बैठे हो। वैसे
हमेशा सोई रहने वाली सरकार इस बार खेल के मसले पर तुरंत जागी। हॉकी इंडिया ने इस
बीच कह दिया जाओ हम टीम ही नहीं भेजते। कर लो क्या करते हो। सरकार ने दोनों बच्चों
की लड़ाई खत्म करवा के अब्बा करवा दी, टिकट के पैसे भी दे दिए और मामला खत्म।
अल्ला अल्ला खैर सल्ला।
मेरे जैसे खोजी बंदे एक बड़ा सा लैंस लेकर इस
मामले की तह तक पहुंचे तो सारा मामला खुला। दरअसल अंदर की बात थी और कुछ लोगों के
लिए आराम और चौधराहट की निकली। अंदर की बात तो साई की नजर में कुछ खास नहीं थी हुआ
यूं कि बर्ल्ड हॉकी लीग के आखिरी दिन स्टेडियम में मौजूद साई का सिक्योरिटी
इंचार्ज थोड़ी से चढ़ा आया था और आते ही सबसे चढ़ बैठा। सुरक्षा का मामला था और ये
उसकी नई सुरक्षा तकनीक थी। थोड़ी सी खुमारी में तो आदमी वैसे भी ज्यादा अलर्ट हो
जाता है। दो पैग लगाकर स्टेयरिंग पर बैठने वाला ड्राईवर कुछ ज्यादा ही चौकंना होता
है। आंखे फाड़ फाड़ कर सबको देखता है। हॉकी इंडिया वालों ने साई के खुमार चंद को
पुलिस के हवाले कर दिया बस साई यहीं से भड़क गया। हॉकी वालों की यह हिम्मत। अगर
पूरी बात पता ना हो तो बीच में टांग नहीं फंसाते। सुरक्षा की ये नई तकनीक है साई
सिक्योरिटी ऑफिसर की। अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी आए थे दिल्ली पुलिस की ढीली ढाली
सुरक्षा को जरा कसने का एक पिलान था। थोड़ी सी हरकत की स्टेडियम में चारों तरफ
पुलिस ही पुलिस। चौकन्नी पुलिस। डंडा बजाती पुलिस हॉकी वाले को चारों तरफ से पुलिस
ने घेर रखा था। इससे ज्यादा और सुरक्षित क्या होंगे हॉकी वाले। सुरक्षा का मामला
था इसिलए नई तकनीक को सीक्रेट रखा था। टॉप सीक्रेट यहां तो पूरा साई ही खुमारी में
रहता है अगर एक बंदे ने वहां भी थोड़ी सी खुमारी दिखा दी तो हॉकी वालों ने हंगामा
कर दिया। हंगामा क्यों है बसपा थोड़ी सी जो......।
चलिए अब हम बताते हैं कि इस देश में खेलों के
सिर के सांई यानी की साई की क्या ताकत है। माना कि साई लोगों की नजर में सफेद हाथी
है लेकिन हाथी तो हाथी होता है। और मरा हुआ हाथी तो और भी महंगा होता है। जहाज की
टिकट काट के हॉकी इंडिया को एक बात तो उतार दिया ना रन वे से। देखा साई की टिट फार
टैट वाला इस्टाइल। आपने हमारे बंदे की खुमारी उतार हमने आपकी हवाई सवारी उतारी।
कल तक साई के रहमों
करम पर जीने वाली इस देश की हॉकी, हॉकी इंडिया लीग में चार पैसे क्या आ गए लगी
आंखे दिखाने। कल तक तो हॉकी सरताज की सूफी गीत गाती थी “सांई साड्डी फरियाद तेरे
तांई” आज तेवर तो देखों एक टांग वाली हॉकी की औकात तो देखों
चले थे क्रिकेट का मुकाबला करने। वहीं तो तीन तीन टांगे यानी स्टंप होते है और
माथे पर बेलस अलग। यहां हमने हॉकी को अंदर करवा दिया तो कोई बेल करवाले भी नहीं
आएगा।
हॉकी वालों की टिकट काट कर एक बार तो साई वालों ने बता ही दिया कि अथॉरिटी
आखिर अथॉरिटी ही होती है। इस देश में तो ड्राईविंग लाईसेंस और डीडीए वाली अथॉरिटी
ही आज तक किसी की पकड़ में नहीं आई ये तो पूरे देश के खेलों की अथॉरिटी है। हमने
दिखा दिया ना कि ये अजलान शाह कहां का सुल्तान है। असली सुल्तान तो साई ही है,
जिसको इस मुल्क में सलाम किए बगैर कोई बाहर जा ही नहीं सकता। साई ने ये भी संकते
ते दिए कि क्रिकेट और हॉकी में बहुत अंतर है। अभी से क्रिकेट वाले के लक्षण दिखाने
की जरूरत नहीं है। क्रिकेट से क्या मुकाबला उनका अंपायर तो खड़ा खड़ा उंगली दिखा
देता है। हॉकी का अपंयार तो पूरे मैदान में भागता दौड़ता सीटियां बजाता रहता है।
फिर भी कोई उसकी सुनता नहीं है। ट्रैफिक सिपाही भी सीटियां तो खूब बजाता है लेकिन
हरी पीली लाल बत्ती ज्यादातर लोग जंप कर जाते हैं। हॉकी का अंपायर भी हरा, पीला,
लाल कार्ड लिए घूमता रहता है। सुनता कोई नहीं।
सो साई की आखिरी चेतावनी। इस बार तो हवाई जहाज की टिकट ही काटी है अगर
आईँदा से हमारे बंदे को छेड़ा तो अभी तक तो हमारा बंदा ही खुमारी में ता। आप लोग
समझ सकते हैं कि हरदम खुमारी में रहने वाली साई संस्था फिर क्या कर सकती है। आईँदा
के लिए ताकीद अभी तक के लिए भूल-चूक लेनी देनी। हॉकी की तरह देश के सभी खेलों के लिए
जनहित में जारी। पावती भेजने की कोई जरूरत नहीं।
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