ऑस्ट्रेलिया को हरा भारत ने रचा इतिहास
सन्नी गोंड़
भारत ने सीरीज तो कई
जीती है पर इस जीत सी कोई नहीं। भारत ने क्रिकेट के मैदान में कई विरोधियों को चित
किया है पर इस विरोधी सा कोई नहीं। क्रिकेट में ऑस्ट्रेलिया किसी भी देश के लिए एक
मजबूत प्रतिद्वंदी है इसी मजबूत प्रतिद्वंदी को भारत ने 4-0 से हरा कर इतिहास रच
दिया है। यह भारत की अब तक की सबसे बड़ी जीत है। इससे पहले भारत ने इंग्लैंड और
श्रीलंका को 3-0 से मात दी है। दूसरी ओर पिछले चार दशकों में ऑस्ट्रेलिया को इतने
बुरे तरीके से किसी ने नहीं हराया है। इस जीत के साथ ही भारत ने पिछले बॉर्डर
गावस्कर ट्रॉफी की हार का बदला भी ले लिया है। साल 2011-12 में ऑस्ट्रेलिया ने
अपनी जमीन पर भारत को भी 4-0 से पटखनी दी थी।
भारत के लिए यह
सीरीज आसान नहीं थी। अभी कुछ महीने पहले ही भारत अपनी जमीन पर इंग्लैंड के हाथों चार
टेस्ट मैचों की सीरीज में दो-एक से हार चुका है। इंग्लैंड के हाथों हार के बाद
भारत को दोबारा अपनी जमीन पर एक मजबूत विरोधी का सामना करना था। लेकिन धोनी की
युवा ब्रिगेड ने खुद को साबित करते हुए ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम को सफाया किया।
इस सीरीज की जीत
इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि टेस्ट के दिग्गजों के सन्यास के बाद से ही भारत की
टेस्ट टीम के भविष्य को लेकर चिंता व्यक्त की जा रही थी। लेकिन इस जीत ने सभी
सवालों के जवाब दे दिए हैं। इस टीम में अगर दिग्गज की बात की जाए तो सचिन के सिवाय
और कोई चेहरा नहीं था। आर अश्विन,
रविंद्र जडेजा, चेतेश्वर पुजारा और मुरली विजय के सर इस सीरीज के जीत का सेहरा
बन्धा है। आर अश्विन मैन ऑफ द सीरीज रहे उन्होंने चार मैचों में कुल 29 विकेट लिए
वहीं रविंद्र जडेजा ने भी अपनी फिरकी का जादू दिखाते हुए 24 विकेट अपने नाम किए।
बल्लेबाजों की बात की जाए को मुरली विजय ने 430 और चेतेश्वर पुजारा ने 419 रन
बनाए।
इस जीत के साथ ही एक
सवाल खड़ा हो गया है कि यह सीरीज भारत जीता है या ऑस्ट्रेलिया हारा है। कहने का
मतलब है कि यह कहा जा रहा है कि इस समय ऑस्ट्रेलिया की टीम काफी कमजोर है। माइकल
क्लार्क के अलावा कोई भी खिलाड़ी उस ऑस्ट्रेलिया टीम में जगह पाने लायक नहीं है
जिसने विश्व क्रिकेट पर इतने साल राज किया है। लेकिन जीत तो जीत है। भारत के लिए
चुनौती अब शुरू हुई है। इस युवा बिग्रेड को खुद को अब विदेशी धरती पर साबित करना
है।
मैचों की बात की जाए
तो चेन्नई में खेले गए पहले मैच में ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने
का निर्णय किया। भारत सीरीज का पहला मैच आठ विकेटों से जीता। इस मैच में गेंदबाजों
और बल्लेबाजों दोनों ने ही कमाल का खेल दिखाया। भारतीय कप्तान को उनके 224 रनों के
लिए मैन ऑफ द मैच दिया गया। दूसरी ओर आर अश्विन ने पहले टेस्ट में 12 खिलाड़ियों
का शिकार किया।
भारत ने पहला मोर्चा
मार लिया था। उनके हौसले बुलंद थे। ऑस्ट्रेलिया ने फिर टॉस जीता लेकिन वह अपने टॉस
जीतने को मैज जीतने में नहीं बदल सके। भारत ने इस मैच को एक पारी और 135 रनों से
जीता। पहले मैच की तरह इस मैच में एक भारत की ओर से एक दोहरा शतक लगा। पुजारा ने
204 रनों की पारी खेली। पुजारा को टीम का नया श्रीमान भरोसेमंद भी कहा जाने लगा।
पुजारा को उनके दमदार खेल के लिए मैन ऑफ द मैच का खिताब दिया गया।
लगातार दो हार के
बाद ऑस्ट्रेलिया ने तीसरे मैच में कुछ दम दिखाया। मोहाली में एक बार फिर
ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। उन्होंने पहली
पारी में 408 रन बनाए। इसके जवाब में भारत ने शानदार शुरुआत करते हुए शिखर धवन के
187 और मुरली विजय के 153 रनों की बदौलत पहली पारी ने 499 रन बनाए बनाए। दूसरी
पारी में आस्ट्रेलिया में 233 रन बना सकी और भारत ने 6 विकेट रहते ही लक्ष्य को
हासिल कर लिया। अपना पहला टेस्ट खेलनेवाले शिखर धवन को मैन ऑफ द मैच दिया गया।
ऑस्ट्रेलिया को तीन
मैचों में हराने के बाद भारत की नजर क्लीन स्वीप पर थी तो दूसरी ओर ऑस्ट्रेलिया
अंतिम मैच जीतकर हार के अंतर को कम करना चाहती थी। दिल्ली में ऑस्ट्रेलिया ने फिर
टॉस जीता और बल्लेबाजी करने का ही निर्णय लिया। पिछले तीन बार भी ऑस्ट्रेलिया टॉस
तो जीत गई थी लेकिन वह मैच जीतने में नाकामयाब रही थी। तीन मैचों के इतिहास ने खुद
को फिर दोहराया और अंतिम मैच भी भारत 6 विकेटों से जीता। मैच में सात विकेट और 43
रन बनानेवाले रवींद्र जडेजा को मैन ऑफ द मैच दिया गया।
दिल्ली की जीत के
साथ ही भारत ने ऑस्ट्रेलिया का सफाया कर दिया। धोनी को जीत की ट्रॉफी खुद एलेन
बॉर्डर और सुनिल गावस्कर ने दी। जिनके नाम पर इस सीरीज का नाम रखा गया है।
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