भारतीय रेल और भारतीय खेल: संबंध गहरा है/स्मिता मिश्र
भारतीय दल गोल्ड कोस्ट
राष्ट्रमंडल खेलों से 26 स्वर्ण, 20 रजत और 20 कांस्य पदक लेकर लौटा है। इन पदक विजेताओं
में एक अच्छी सूची उन खिलाड़ियों की है जो भारतीय रेल में कार्यरत हैं। इन्हीं पदक विजेताओं के सम्मान में अभी हाल ही में भारतीय
रेलवे द्वारा सम्मान समारोह आयोजित किया गया जिसमें रेल मंत्री पीयूष गोयल और खेल
मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर द्वारा इनको सम्मानित किया गया। मुक्केबाजी, एक्लेटिक्स, कुश्ती, भारोत्तोलन, हॉकी, वॉली-बॉल, जिम्नास्टिक, बास्केट-बॉल आदि तमाम खेलों के वर्तमान
खिलाडियों के साथ-साथ अनेक पूर्व खिलाड़ी एवं प्रशिक्षक उपस्थित थे।
भारतीय रेल विश्व की
सबसे बड़ी रेल संस्था है। यह न केवल सबसे ज्यादा लोगों को यात्रा कराने वाली रेल
है बल्कि सर्वाधिक लोगों को रोजगार देने वाली भी रेल है। भारतीय खेलों के संदर्भ
में भारतीय रेल और भारतीय सेना के भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह सर्वविदित है
कि भारतीय खिलाड़ी प्राय: कमजोर आर्थिक पृष्ठभूमि से आते हैं। उनके लिए खेल केवल
मनोरंजन का साधन नहीं बल्कि बेहतर भविष्य के लिए जरूरी आजीविका का माध्यम होता है।
ये दोनों संस्थान भारतीय
खिलाड़ियों के लिए नौकरी पाने का लक्ष्य होते हैं।
उनके इसी सपने को सार्थक आकार भारतीय रेल और भारतीय सेना
करती है। जब वे प्रतिभावान खिलाड़ियों को आजीविका प्रदान करती है। इससे न केवल उस
खिलाड़ी के जीवन में सार्थक बदलाव आता है बल्कि भारतीय खेलों का ताना-बाना भी मजबूत होता है।
महिला खिलाड़ियों के
संदर्भ में भारतीय रेल कहीं अधिक अर्थवान हो उठती है। भारती रेल न केवल महिला
खिलाड़ियों को आर्थिक सहायता प्रदान करती है, बल्कि सामाजिक संदर्भ में लिंग-भेद मुद्दे को भी सुलझाने में सहायता करती है।इसलिए
भारतीय रेलवे स्पोर्ट्स बोर्ड का यह कदम अत्यंत सराहनीय है।
आज कॉरपोरेट सोशल
रिस्पॉनसिबिलिटी यानी सीएसआर के तहत कॉरपोरेट जगत कुछ ‘डिजायनर’ किस्म की क्रीड़ाएं करके अपने दायित्व की इतिश्री समझ लेता हैI जब खिलाडी सफल हो जाता है तो उसे विज्ञापन
में दिखाकर उसकी ब्रांड वैल्यू तो बढ़ती है, किन्तु अधिक बेहतर
होगा यदि वे खिलाड़ियों को स्थाई आर्थिकता देने की दिशा में भी कुछ सार्थक कदम उठाए।

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