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खेल क्षेत्रे : पुरुष क्षेत्रे



ऐसा कहा जाता है कि खेल क्षेत्रे : पुरुष क्षेत्रे |यह कथन सच भी है क्योंकि केल के मैदान से लेकर खेल के निर्णायकों तक का क्षेत्र पुरुष के ही अधीन रहा है| यहाँ तक की खेल की खबर देने वाला मीडिया पर भी पुरुष का वर्चस्व रहा है| यह स्वाभाविक भी था क्योंकि खेल खेलने की परिस्थितियाँ एवं शर्तें स्त्री  के अनुकूल कभी नहीं रहीं|सामाजिक एवं धार्मिक कारणों से सत्री घर के भीतर ही रही,और पुरुष घर के बाहर| इसलिये दिनों के खेल भी भिन्न भिन्न हो गये|लड़का घर से बाहर खुले मैदान में साहस,शक्ति और कौशल का प्रदर्शन के खेल खेलता है  ताकि वह भविष्य में बेहतर प्रशासक,निर्णायक और सत्ता संचालक बन सके, जबकि लड़की चार दीवारी में घिरी हल्के फुल्के मनोविनोद वाले खेल या घर-घर खेले जिससे वह बेहतर गृहिणी बन सके|

किंतु इधर समय ने करवट ली है |चारदीवारी को पारकर खुले मैदान में लड़कियाँ चहलकदमी करने लगीं| फिर धीरे धीरे यह चहलकदमी आत्मविश्वास से पूर्ण कसरत में बदल गयी|खेल के मैदान की फिजा ही बदल गयी|वे अब साहस वाले खेलों से जुड़ने लगी हैं|लड़कियों के हाथ में बैडमिंटन आ गया,क्रिकेट बैट आ गया,धनुषबाण आया,बॉल आई और आए बाक्सिंग के दस्ताने|जो-जो क्षेत्र उसके लिये वर्ज्य थे उसने उन सभी क्षेत्रो़ पर कौशल हासिल किया | जहाँ पहले ओलंपिक में स्त्री को ओलंपिक में भाग लेने की तो बात दूर रही,देखने तक की मनाही थी और पकड़े जाने पर मृत्यु-दंड का प्रावधान था,वहीं लंदन ओलंपिक तक महिला खिलाड़ियों की संख्या पुरुष खिलाड़ियों की बराबरी तक आ पहुँची |

भारत के लिये ओलंपिक में पदक जीतने वाली तीनों महिलाओं ने  इस मिथ को तोड़ दिया कि महिलाएं कमजोर होती है़| देश के लिये पदक जीतने वाली प्रथम महिला खिलाड़ी कर्णम मल्लेश्वरी ने शक्ति प्रदर्शन वाले खेल भारोत्तोलन में 2000 के सिडनी ओलंपिक मे कांस्य पदक जीता जिसमें अभी तक किसी पुरुष ने भी उपलब्धि हासिल नहीं की है|देश की धड़कन  बन चुकी सायना नेहवाल  भी  लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर ओलंपिक में सफलता पाने वाली पहली भारतीय बैडमिन्टन खिलाडी बनी| मणिपुर की बाक्सर मेरीकॉम ने तो सीमातीत सफलता हासिल की| दो बच्चों की माँ  होने के बाद भी उन्होंने हौसलो की उड़ान को कहीं मंद नहीं होने दिया और स्त्री की कमनीयता,कोमलता वाली  पारंपरिक छवि को तोड़कर साहस और ताकत वाले खेल बाक्सिंग से अपनी पहचान बनाई|

ज्यों-ज्यों खेल के मैदानों पर महिलाओं की भागीदारी बढ़ी त्यों-त्यों खेल से संबद्ध गलियारों में भी महिलाओं की भागीदारी बढ़ी और खेल पत्रकारिता में भी महिलाओं ने कदम रखा|स्पोर्ट्स क्रीड़ा भी एक ऐसा ही  विनम्र प्रयास है जिसमें खेल के विकासात्मक मुद्दों को  भारतीय परिप्रेक्ष्य में उठाने का प्रयास किया जाएगा|

स्मिता मिश्र (सम्पादक)

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