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सायना से शाईनिंग महिला खिलाड़ियों का भविष्य


स्मिता मिश्र 

सायना नेहवाल ने अभी डेनमार्क सुपर सीरीज जीती है। इससे पहले उन्होंने इस साल ओलंपिक, इंडोनेशिया  सुपर सीरीज और स्विस ओपन में भी जीत दर्ज की है। भारत जैसे क्रिकेट प्रेमी देश में ऐसे लम्हे बहुत कम आए हैं जब किसी दूसरे खेल के खिलाड़ी और उसमें भी महिला खिलाड़ी की चर्चा हो रही है। सायना ने यह उपलब्धि अपने दम पर हासिल की है। भारत खेलों के मामले में पहले से पुरुष प्रधान रहा है। कुछ अपवादों को  छोड़कर खेलों के आदर्श भी ज्यादातर पुरुष ही रहे हैं। इसमें सचिन तेंदुलकर, मेजर ध्यानचंद, विश्वनाथन आनंद, बाईचुंग भूटिया और लिएंडर पेस से जैसे खिलाड़ी शामिल हैं। महिला खिलाड़ी के तौर पर पीटी उषा का नाम ही मस्तिष्क में आता है, वह भी शायद इसलिए क्योंकि उन्हें स्कूल के पाठयक्रम में पढ़ाया जाता है। 

इस ओलंपिक से पहले तक खेलों में महिलाओं की र्चचा बहुत कम होती थी। ओलंपिक में भी केवल एक ही महिला पदकधारी महिला थीं। इस ओलंपिक से बदलाव आया। सायना नेहवाल और मेरीकॉम जैसी खिलाडियों  ने इस पुरुष प्रधान खेल के देश में अपनी मौजूदगी दर्ज की। मीडिया भी महिला खिलाड़ियों की उपलब्धि से ज्यादा उनकी निजी जिंदगी में दिलचस्पी लेता रहा है। उनकी कामयाबी से ज्यादा उनके अफेयर की चर्चा होती  रही है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं सानिया मिर्जा जिनकी कामयाबी से ज्यादा उनकी शादी की चर्चा हुई। लेकिन सायना नेहवाल ने समाज के साथ मीडिया की भी सोच बदलने का काम किया है। आज किसी भी खेल की सफलता उसके द्वारा होने वाली आय पर निर्भर होती है। आय भी तभी बढती है जब उस खेल का टीवी प्रसारण होता है और उस खिलाड़ी का चेहरा टीवी पर बार बार दिखाई पड़ता है। खिलाड़ी का चेहरा या तो  उपलब्धि के कारण दिखेगा या फिर विवाद और अन्य कारणों से। 

महिला खिलाड़ी का चेहरा अन्य कारणों से ही दिखाई देता है न कि अपने बेहतर प्रर्दशन के कारण। ज्वाला गुट्टा और सानिया  मिर्जा को अपनी उपलब्धि के कारण अखबार या टीवी में इतनी जगह नहीं मिली होगी  जितनी की विवादों के कारण। लेकिन सायना नेहवाल ने लगातार बेहतर प्रर्दशन करके खेलों में महिलाओ की स्थिति को बेहतर किया है।

सायना का जन्म हरियाणा के हिसार में हुआ। उनकी स्कूली पढ़ाई हैदराबाद में हुई है। अपने बचपन में वे कराटे में ब्राउन बेल्ट थी। लेकिन एक र्दुघटना के बाद उन्हें कराटे को छोड़ना पड़ा। कराटे को छोड़कर उन्होंने बैटमिंटन कोर्ट में कदम रखा और नई बुलंदियों को छुआ। सायना ने न केवल हरियाणा की बल्कि पूरे देश की सोच महिला खिलाडियों के प्रति बदली है। सायना ने चंद महीनों पहले रिति स्पोर्ट्स के साथ 40 करोड़ का करार किया है। यह करार इस मायने में भी महत्वपूर्ण हैं कि क्रिकेट के बाद किसी अन्य खेल में यह सबसे बड़ा करार है। इसमें भी महत्वपूर्ण बात यह है कि यह एक महिला खिलाड़ी के द्वारा किया गया करार है। सायना की कामयाबी उन महिला खिलाड़ियों के लिए एक आदर्श है जो खेल की दुनिया में अपना भविष्य तलाश रही है।

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