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क्रिकेट के रास्ते रिश्तों को राह पर लाने की कवायद


सन्नी गोंड़

भारत ने अपनी परंपरा के अनुसार एक बार फिर पाकिस्तान की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। 2008 में हुए 26/11 हमले के बाद पाकिस्तान पहली बार 3 एकदिवसीय और दो टी20 मैचों की सीरीज के लिए भारत आया  है। मुम्बई हमलों के बाद भारत ने साफ कर दिया था कि जब तक हमलों के गुनहगारों के खिलाफ कोई कड़ी र्कारवाई नहीं होगी तब तक किसी भी स्तर पर कोई बातचीत या समझौता नहीं होगा। इसी क्रम में क्रिकेट सीरीज भी अटकी हुई थी। लेकिन केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भारत-पाक सीरीज पर हामी भर कर एक तरह से पाकिस्तान को दोबारा मौका दिया है कि हमारा दिल साफ है। आप अपने मन पर मंत्रणा करो। यह सीरीज 25 दिसंबर से शुरू होकर सात जनवरी तक चलेगी।

वैसे भी पाकिस्तानी क्रिकेट मुशिकल दौर से गुजर रहा है। 2008 में मुम्बई हमलों के बाद पाकिस्तान भारत नहीं आया और 2009 में पाक की जमीन पर श्रीलंका टीम पर हुए आतंकी हमले के बाद कोइ भी टीम पाकिस्तान जाने को तैयार नहीं है। अपने देश के सामने न खेल पाने का मलाल पाकिस्तान टीम को भी है। पाक टीम के कप्तान मिस्बाह ने एक साक्षात्कार में कहा है कि अपने देश के लोगों के सामने ज्यादा दिनों न खेलना सही नहीं है। पाक सरकार को राजनीतिक स्तर पर कोशिश करनी चाहिए कि दूसरे देश हमारे जमीं पर खेलने के लिए तैयार हो जाए।

भारत और पाक दोनों देशों के नजरिए से यह सीरीज अहम और विवादास्पद है। पाकिस्तान के नजर से जहां यह सीरीज राजनीतिक समाजिक और खेल भविष्य के लिए अहम है वहीं भारत में इस सीरीज को लेकर वाद-विवाद हो रहा है। सीरीज के समर्थकों का मानना है कि खेल और राजनीति को एक-दूसरे से दूर रखना चाहिए। दूसरी ओर आलोचकों का कहना है कि जब तक पाकिस्तान मुम्बई हमलों के गुनहगारों के उपर कोई ठोस कदम नहीं उठाएगा तब तक पाकिस्तान के साथ किसी भी प्रकार का कोई संबंध रखना सही नहीं है।
इस सीरीज के शुरू होने से पहले इस खेल सीरीज के दो अहम किरदार इस दुनिया से विदा हो गए। पहला किरदार है बाल ठाकरे जो इस सीरीज के प्रबल विरोधी थे। वे 17 नवंबर को इस दुनिया से विदा हो गए। बाल ठाकरे इस सीरीज के खिलाफ आवाज उठानेवालों में से कुछ पहले व्यक्तियों में एक थे।

दूसरा किरदार है वह व्यक्ति है जिसके कारण पाकिस्तान से सारी बातचीत बंद थी। कसाब जो मुम्बई हमलों का एकमात्र पकड़ा गया आतंकी था उसे 21 तारीख को फांसी दे दी गई। कसाब की फांसी इस बात का संकेत है कि सरकार देश पर हुए सबसे बड़े हमले को हल्के में लेने की मानसिकता में नहीं है। भले ही खेल के तौर पर भारत ने पाकिस्तान को आने की अनुमति दे दी हो, लेकिन राजनीतिक स्तर पर अभी भी पाक की पहल का इंतजार है।

भारत ने सार्थक पहल की है। पर इस सीरीज के साथ ही कई सवाल है जो खड़े हुए हैं। क्या पाकिस्तान भी भारत की इस पहल को प्राथमिकता देते हुए मुम्बई हमलों के गुनहगारों के खिलाफ कोई ठोस कदम उठाएगा? इस सवालों के जवाब तो सीरीज के समय या उसके बाद मिलेगा।

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