योनेक्स सनराईज इंडिया ओपन : खिलाड़ी सायना पर भारी ब्रांड सायना
स्मिता मिश्र
नई दिल्ली के सीरी
फोर्ट स्टेडियम में 23 से 28 अप्रैल तक बैडमिंटन योनेक्स सनराइज इंडिया ओपन सम्पन्न
हुई। छह दिनों तक चली इस प्रतियोगिता में कई बाते उभर कर आई। पहली बात तो यह कि
ऐसा क्यों है कि विदेशी धरती पर देश का विजयी झंड़ा फरहाने वाली सर्वोच्च वरीयता
प्राप्त सायना नेहवाल भारतीय धरती पर सफल नहीं हो पाती हैं? बैडमिंटन योनेक्स सनराइज इंडिया ओपन में भारतीय
दावेदारी काफी प्रबल थी। जाहिर सी बात है कि भारत की शाइनिंग स्टार सायना नेहवाल
से हमेशा की तरह भारतीयों की उम्मीदें लगी थी। लेकिन विदेशी धरती पर भारतीय परचम
लहराने वाली सायना नेहवाल भारतीय धरती पर कमाल नहीं दिखा पाई हैं। सायना का पिछला
रिकॉर्ड देखे तो भारतीय धरती पर सायना कमाल नहीं कर पाई हैं। दिल्ली राष्ट्रमंडल
खेलों को अपवाद स्वरूप लें तो भारत में हुए पिछले तमाम अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों
में सायना सेमीफाइनल तक भी नहीं पहुंच पाई हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं। संभव है 40 करोड़ की
डील वाली रीति स्पोर्ट्स कंपनी के दबाव से
भी खेल का प्रदर्शन प्रभावित हो सकता है। लेकिन इसी क्रम में से दूसरी
बात यह भी सामने आई है कि भारतीय बैडमिंटन में सायना के बाद की पीढ़ी तैयार होने
लगी है। पीवी सिंधु इनका बेहतरीन उदाहरण है। सायना इस प्रतियोगिता के क्वाटरफाइनल
तक ही पहुंच पाई थी वहीं सिंधु ने सेमीफाइनल तक का रास्ता तय किया। यहीं नहीं हाल
ही में सम्पन्न मलेशियाई ग्रा.प्री. में भी सिंधु ने खिताबी जीत हासिल की है।
लेकिन इस प्रतियोगिता में जो सबसे खास बात उभरकर सामने आई है वह है
प्रशंसकों का सचिन ब्रांड से सायना ब्रांड की ओर मुड़ना। यह सही है कि क्रिकेट और
बैडमिंटन की कोई तुलना नहीं है। कॉरपोरेट जगत ने जितनी पूंजी क्रिकेट में निवेश की
है उसकी एक चौथाई भी
बैडमिंटन में नहीं है। लेकिन फिर भी सायना की बढ़ती ब्रांड वैल्यू का जलवा इस प्रतियोगिता
में सहज ही देखा जा सकता था। सायना की एक झलक पाने के लिए, उनके हस्ताक्षर के लिए
खेल प्रशंसकों में जो दीवानगी थी वह अन्य खेलों के खिलाड़ियों के लिए बहुत कम ही
देखी जाती है।
योनेक्स सनराइज
इंडिया ओपन में योनेक्स मार्केटिंग टीम ने टूर्नामेंट के प्रचार में तौफीक हिदायत
और चीनी खिलाडी ली के चेहरों को प्रमुखता
दी। लेकिन सर्वाधिक प्रमुखता जिस चेहरे को मिली वह थी भारत के खेल परिदृश्य का
सबसे चमकता चेहरा यानी सायना नेहवाल। दिल्ली के सभी प्रमुख स्थानों पर लगे
होर्डिंग में तौफीन, ली और सायना का ही चेहरा था जो दिल्लीवासियों को सीरी फोर्ट
आऩे के लिए आमंत्रित कर रहा था। इसे दिल्लीवालों ने स्वीकार भी किया। निःशुल्क
प्रवेश की सुविधा से तमाम खेल प्रशंसकों की भीड़ उमड़ पड़ी । उदीयमान खिलाड़ी, उनके परिजन,
रिटायर्ड खिलाड़ी, भारतीय-विदेशी मीडिया और आम दर्शक सायना की उपस्थिति मात्र की
सूचना से स्टेडियम पहुंचे। क्रिकेट को अपवाद माने तो दिल्ली में ऐसा अक्सर कम होता
है कि स्टेडियम भर जाए।
खेल के प्रोफेशनल
होते जाने की झलक निश्चित रूप से इस टूर्नामेंट में दिखाई पड़ी। उचित सुरक्षा
व्यवस्था, खानपान के तमाम स्टाल, अन्य उत्पाद तो थे ही योनेक्स का भारी-भरकम
इनस्टेडिया स्टाल तो अद्भुत था। खेल को लोकप्रिय बनाने में मर्चेन्डाइजिंग की
भूमिका भी यहां स्पष्ट दिखाई पड़ी। बैडमिंटन संबंधित तमाम उत्पाद यहां बिक्री के
लिए मौजूद थे। उदीयमान खिलाड़ियों के लिए स्तरीय अंतरराष्ट्रीय उत्पाद तो थे ही इस
टूर्नामेंट में आम व्यक्ति के लिए स्मृति चिन्ह के रूप में भी काफी आकर्षक वस्तुएं
उपलब्ध थी। यानी दर्शक खेल देखने के बाद जब घर जाएं तब भी उन स्मृतिचिन्हों के
द्वारा वह खेल से लंबे समय तक जुड़े रहे। चाहे टीशर्ट हो, चाबी का छल्ला, छाता,
जूते, बैग, ट्रैकसूट, घड़िया, जर्सी या फिर बैडमिंटन रैकिट।
खास बात यह थी कि
सायना की उपलब्धियों के आधार पर सायना द्वारा पहने जाने वाले जूते-ड्रेस और रैकिट
की ब्रांडिंग प्रभावशाली विपणन का उदाहरण थी। इस टूर्नामेंट में ‘फन फेयर’ इवेंट भी आयोजित किया
गया जिसमें स्टेडियम के बाहरी गलियारे में बैडमिंटन का एक कोर्ट बनाया गया। इसमें
सभी आयु वर्ग के खेल प्रशंसकों ने भारी तादाद में भाग लिया। इनमें से कुछ लोगों को
चुनकर उन्हें सायना की सिग्नेचर ड्रेस उपहार स्वरूप दी गई। स्टेडियम के अंदर और
बाहर जगह-जगह सायना के बारे में जानकारी देनेवाले होर्डिंग लगाए गए थे ।यानि
खिलाडी सायना बेशक इस प्रतियोगिता के शुरुआती दौर में ही बाहर हो गयी लेकिन ब्रांड
सायना प्रतियोगिता के आखिरी दिन तक भी दर्शको को लुभाती रही ।
No comments: