भद्रजनों का 'अ'भद्र खेल
सन्नी गोंड़
क्रिकेट को भद्रजनों का खेल कहा जाता है। यानि जेंटलमैन गेम| यह सही भी था क्योंकि सफेद पोशाक पहन कर नियमों के दायरे में रहकर आचार संहिता के अनुरूप खेल खेलते रहे हैं| फटाफट संस्कृति के फलस्वरूप फटाफट क्रिकेट भी आया| फिर फटाफट का भी लघु संस्करण आया 20-20 | इस 20-20 का सबसे बड़ा ब्रांड बनकर उभरा -आईपीएल, जिसने भारत में सबसे ज्यादा चलने वाली दो चीजों क्रिकेट और बॉलिवुड को एक साथ एक मंच पर ला दिया| आईपीएल ने क्रिकेट में पैसों की घनघोर बरसात की और पैसे कमाने में विश्व का दूसरा टूर्नामेंट बन गया। आईपीएल से पैसे तो आए लेकिन हाय! भद्रजन अपनी भद्रता पर कायम न रह सके| इन भद्रजनों ने वह अभद्र काम कर डाला जिससे न केवल क्रिकेट बल्कि खेल और उसे पसंद करनेवाले प्रसंशकों को धक्का लगा । खेल का मजा तभी आता है जब खेल का हर अगला पल अनिश्चित हो लेकिन कुछ खिलाड़ियों ने खेल को फिक्स कर खेल, उससे जुड़ी भावना और उसके साथ जुड़े रोमांच के साथ खिलवाड़ किया है।
क्रिकेट को भद्रजनों का खेल कहा जाता है। यानि जेंटलमैन गेम| यह सही भी था क्योंकि सफेद पोशाक पहन कर नियमों के दायरे में रहकर आचार संहिता के अनुरूप खेल खेलते रहे हैं| फटाफट संस्कृति के फलस्वरूप फटाफट क्रिकेट भी आया| फिर फटाफट का भी लघु संस्करण आया 20-20 | इस 20-20 का सबसे बड़ा ब्रांड बनकर उभरा -आईपीएल, जिसने भारत में सबसे ज्यादा चलने वाली दो चीजों क्रिकेट और बॉलिवुड को एक साथ एक मंच पर ला दिया| आईपीएल ने क्रिकेट में पैसों की घनघोर बरसात की और पैसे कमाने में विश्व का दूसरा टूर्नामेंट बन गया। आईपीएल से पैसे तो आए लेकिन हाय! भद्रजन अपनी भद्रता पर कायम न रह सके| इन भद्रजनों ने वह अभद्र काम कर डाला जिससे न केवल क्रिकेट बल्कि खेल और उसे पसंद करनेवाले प्रसंशकों को धक्का लगा । खेल का मजा तभी आता है जब खेल का हर अगला पल अनिश्चित हो लेकिन कुछ खिलाड़ियों ने खेल को फिक्स कर खेल, उससे जुड़ी भावना और उसके साथ जुड़े रोमांच के साथ खिलवाड़ किया है।
यों तो आईपीएल और विवादों का नाता उसके पहले सीजन से ही रहा है पर आईपीएल सिक्स आते-आते इससे जुड़े विवादों ने भी छक्का लगाया। श्रीसंत, अजीत चंदीला और अंकित चव्हाण आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग में पकड़े गए। स्पॉट फिक्सिंग मैच फिक्सिंग से कम खतरेवाला सौदा है। इसमें पूरा मैच फिक्स न होकर मैच के कुछ अंश ही फिक्स होते हैं।ये सभी राजस्थान रॉयल के खिलाड़ी हैं। यह वहीं टीम है जो फेयर प्ले में ज्यादातर शीर्ष टीमों में शामिल रही है और 2012 में इस टीम को फेयर प्ले अवार्ड मिला था। फेयर प्ले से तात्पर्य है खेल को खेल की भावना के साथ खेलना। इसके कप्तान राहुल द्रविड़ है जो खुद एक शालीन खिलाड़ी माने जाते हैं।
इन तीन खिलाड़ियों के साथ ही अभिनेता विंदू दारा सिंह और बीसीसीआई अध्यक्ष एन श्रीनिवासन के दामाद गुरुनाथ मयप्पन भी इस फिक्सिंग में लिप्त पाए गए हैं। गुरुनाथ का नाम आने के बाद ही श्रीनिवासन पर अपना पद छोड़ने का दबाव बना। इसके साथ ही आईपीएल को बंद करने की आवाजे उठने लगी।
ऐसा नहीं है कि फिक्सिंग पहली बार हो रही है। क्रिकेट में फिक्सिंग की बात सबसे पहले साल 2000 में उठी थी जब दक्षिण अफ्रीकी खिलाड़ी हैन्सी क्रोनिए ने माना था कि उन्होंने मैच हारने के लिए पैसे लिए थे। क्रोनिए ने कई और खिलाड़ियों के भी नाम लिए थे जो फिक्सिंग में लिप्त थे। भारत में जो खिलाड़ी मैच फिक्सिंग में लिप्त थे उनमें मोहम्द अजहरुद्दीन, अजय जडेजा और मनोज प्रभाकर प्रमुख थे। इसके बाद साल 2010 में पाकिस्तान के कुछ खिलाड़ी मैच फिक्सिंग के दोषी पाए गए थे जिसमें मोहम्मद आमिर, मोहम्मद आसिफ, सलमान भट्ट और दानिश कनेरिया जैसे खिलाड़ी शामिल थे।
मई के अंतिम महीने में खत्म हुए आईपीएल को इस बार मुम्बई इंडियन ने दो बार की विजेता चेन्नई सुपर किंग्स को 23 रन से हराकर अपने नाम किया। इस बार के आईपीएल में एक हिंदी फिल्म की तरह सारे मसाले मौजूद थे। चाहे वह ड्रामा हो या फिर एक्शन। आईपीएल की शुरुआत कोलकता की उत्साही जमीन पर रंगारंग कार्यक्रम से हुई जिसमें देशी से लेकर विदेशी कलाकारों ने नाच-गाकर आईपीएल का स्वागत किया। सभी टीमों के कप्तानों ने एक इलेक्ट्रॉनिक स्क्रीन पर हस्ताक्षर करके खेलों को पूरी ईमानदारी से करने शपथ ली। लेकिन इलेक्ट्रॉनिक स्क्रीन पर सभी कप्तानों के हस्ताक्षर सही तरीके से नहीं हुए। कुछ के आधे हुए तो कुछ के हुए ही नहीं। शायद यही कारण है कि खेल पूरी ईमानदारी से हुए ही नहीं। बहरहाल गाने-बजाने के साथ शुरू हुए आईपीएल का अंत एक्शन और ट्रैजेडी के साथ हुआ। आईपीएल खत्म होते-होते फिक्सिंग के जाल में फंस गया।
फिक्सिंग में फंसे आईपीएल में क्रिकेट के लिए कुछ अच्छी बाते भी हुई। फिक्सिंग के बाद अगर इस आईपीएल सिक्स को किसी चीज के लिए याद किया जाएगा तो वह है क्रिस गेल की धुंआधार 175 रन की पारी। केवल बीस ओवर के खेल में अकेले गेल ने 175 रन मारे। इसके अलावा ब्रावो ने किसी भी आईपीएल के सर्वाधिक विकेट 32 अपने नाम किए।
पिछली बार की चैंपियन कोलकता की बात करे तो वह प्ले ऑफ तक का सफर भी नहीं कर पाई। राजस्थान रॉयल तीसरे पायदान पर रही जिसको हराकर मुम्बई ने फाइनल तक का सफर तय किया। मुम्बई और चेन्नई पूरे टूर्नामेंट में चार बार एक दूसरे के सामने आई है जिसमें से तीन मैच मुम्बई ने जीते। मुम्बई चेन्नई से केवल प्ले ऑफ का पहला मैच हारी है। मुम्बई ने पूरे टूर्नामेंट में कुल 19 मैच खेले जिसमें से उसने 13 मैचों में जीत दर्ज की वहीं दूसरी ओर चेन्नई ने 18 मैचों में से 12 में जीत दर्ज की। सबसे ज्यादा रन यानी ऑरेंज कैप माइकल हसी के सिर रही जिन्होंने 733 रन और पर्पल कैप यानी सबसे ज्यादा विकेट ब्रावो ने लिए जिन्होंने 32 विकेट लिए। इस बार के आईपीएल में जहां क्रिकेट के लिए कुछ अच्छी बात हुई तो वहीं कुछ ऐसी घटनाएं भी हुई जिससे न केवल क्रिकेट बल्कि खेल भावना भी आहत हुई है।

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