खेल की पाकीजगी बरकरार रखें खिलाड़ी
अमित कुमार
पिछले कुछ
दिनों से
हमें क्रिकेट
की दुनिया
में ऐसे
शब्द सुनने
को मिल
रहे हैं,
जिन्हें न
तो क्रिकेट
प्रेमी पहचानते
हैं और
न ही कभी
सुनना चाहते
हैं। सट्टेबाजी,
फिक्सिंग, स्पॉट फिक्सिंग
दुर्भाग्य से
जेंटलमैन गेम
का हिस्सा
बनता जा
रहा है।
कल तक
जो खिलाड़ी
हमारे लिए
हीरो थे,
आज उन्हीं
की हरकतों
पर संदेह
सा होता
है। खिलाडियों द्वारा
महज चंद
पैसों के
लिए खेल
की ख्याति को
इस कदर
आहत पहुंचाना
बहुत निराशाजनक
है। तेजी
से फैलते
इस खरपतवार
पर किस
तरह काबू
किया जाए,
इसपर पूर्व क्रिकेटर मदन लाल का कहना
है कि
जनाब सबसे
अहम बात
खिलाडियों का
अपने खेल
से प्यार होना
चाहिए, अपने खेल
के प्रति
ईमानदारी होनी
चाहिए। अगर
ये न
हुआ तो
कितने ही
कानून बन
जाएं, मुजरिमों की
तादाद कम
थोड़े ही
हो जाएगी।
फिक्सिंग पर लगाम लगाने के लिए कड़े कानून बनाने की जरूरत है या नहीं, इसपर वे कहते हैं कि जैसा कि हमारे खेल मंत्री ने भी कहा है कि ऐसा कोई कानून होना ही चाहिए कि जब भी कोई खिलाड़ी ऐसा कोई कदम उठाने की कोशिश करे, इसके अंजाम से डर कर अपने कदम वापस खींच ले और खेल की पाकीजगी बरकरार रहे। यह जरूरी भी है क्योंकि आज स्पाट फिक्सिंग को लेकर देश में कोई मजबूत कानून नहीं है। क्रिकेट काउंसिल द्वारा खिलाडियों को निलंबित कर देने से उनमें खौफ पैदा नहीं होगा, सख्त से सख्त सजा शायद उन्हें ऐसा करने से पहले सौ क्या हजार बार सोचने पर मजबूर करेगी क्योंकि यह कोई छोटी बात नहीं, देश की इज्जत का भी सवाल है। वो इस बात से कतई सहमत नहीं हैं कि अगर कहा जाए कि खिलाड़ी सट्टेबाजों द्वारा अपने खेल से दगा करने के लिए मजबूर किए जाते हैं, धमकाए जाते हैं। उनका कहना है, ‘’किसी पार्टी में सट्टेबाजों से अनजाने में मिलना, बात करना और साथ फोटोग्राफ भी लिये जाने से वो दोषी करार नहीं दिये जा सकते, जबतक उनका व्यक्तिगत इंवाल्वमेंट ना हो तो अगर कोई कहे कि खिलाड़ी उनके खौफ से सट्टेबाजी के घिनौने खेल में शामिल होते हैं तो यह सरासर झूठ है’’। भारत की एक बड़ी युवा आबादी क्रिकेट की दीवानी है, ऐसे में खिलाडियों को रोल माडल मानने वाली इस युवा पीढ़ी के लिए चिंता जाहिर करते हुए वे कहते हैं कि युवा प्रशंसक खिलाडियों को एक आइडल के रूप में देख रहे होते हैं और जब अपने रोल मॉडल को ऐसा करते सुनें तो जरा अनुमान लगाओ कि भारत के भविष्य को क्या सीख मिलेगी।
क्रिकेट में आज के समय में बेशुमार पैसा है, क्या ये पैसा ही है जिसकी गर्मी खिलाडियों को इस रास्ते पर चलने के लिए आकर्षित करती है, इसपर वे कहते है, ‘’बेशक क्रिकेट में पैसों की कमी नहीं लेकिन मेरे हिसाब खिलाडियों को अपनी मेहनत के बलबूते इसे हासिल करना चाहिए न कि अपने खेल से दगा करके। एस श्रीसंत समेत, अजित चंदीला और अंकित चव्हाण ने चंद पैसों की लालच में आकर अपना करिअर खराब कर लिया।‘’ फिक्सिंग को एक बदनुमा दाग करार देने वाले मदन लाल का कहना है कि खिलाडियों की बदनामी के साथ साथ उनके परिवार पर क्या बीत रही होगी, इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। उन खिलाडियों का क्रिकेट के सभी प्रारूपों से निलंबित होना तो तय है लेकिन एक खिलाड़ी होने के नाते यह उनके लिए एक ऐसा सदमा है जो उनके मन से जाने वाला नहीं।
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