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खिलाड़ी भी अब होंगे भारत के रत्न


सन्नी गोंड़

‘देर आए दुरुस्त आए’ इस कहावत को चरितार्थ करते हुए खेल मंत्रालय ने मेजर ध्यानचंद के नाम की सिफारिश सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न के लिए की है। हॉकी के जादूगर माने जाने वाले ध्यानचंद को यदि यह पुरस्कार मिलता है तो वह पहले खिलाड़ी होंगे जिन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। खेल सचिव पीके देब ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि भारत रत्न के लिए ध्यानचंद के नाम की सिफारिश का पत्र प्रधानमंत्री के पास भेज दिया गया है। उन्होंने बताया कि इस सम्मान के लिए केवल ध्यानचंद के नाम की ही सिफारिश की गई है।

यह बात बड़ी ही अजीब है कि अभी तक 41 लोगों को भारत रत्न से सम्मानित किया गया है। लेकिन उनमें से एक भी खिलाड़ी नहीं है। दरअसल इसके पीछे कारण यह हो सकता है कि कुछ सालों पहले तक खेल को कोई ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता था। हमारी कहावतों में भी कहा जाता था कि खेलोगे कूदोगे होगे खराब, पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब। लेकिन पिछले कुछ सालों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय खिलाड़ियों ने अपनी पहचान बनायीं है, जिससे  खेल की दुनिया में भारतीय लोगों की रुचि बढ़ी है। खिलाडि़यों को भी लोग जानने-पहचानने लगे हैं। मेजर ध्यानचंद के साथ ही कई ऐसे खिलाड़ी भी है जो इस सम्मान के हकदार हैं मसलन ओलंपिक में पहला व्यक्तिगत पदक जितनेवाले केडी जाधव, उड़न परी कही जानेवाली पीटी ऊषा। यह वे लोग जिन्होंने अपने-अपने खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर खेल के भविष्य की रूप-रेखा तैयार की।

मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न देने का फैसला इसलिए भी सही है क्योंकि उन्होंने उस समय हॉकी और देश को पहचान दिलाई जब हमारा देश गुलाम था। उस समय खेल में न तो लाखों-करोड़ों रुपए मिलते थे और न ही आज की तरह उनको लेकर चर्चाए होती थीं। खेल को लोग देश के लिए खेलते थे। ध्यानचंद के नाम की सिफारिश से पहले सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न दिलाने की होड़ लगी थी। क्रिकेट में सचिन को योगदान काबिले तारीफ हैं लेकिन उनसे पहले भी कई खिलाड़ी हैं जिन्होंने अपने खेल के द्वारा दुनिया में भारत का झंडा लहराया है। विश्वनाथन आनंद भी उन्ही खिलाडि़यों में से जो विश्व के कुछ सबसे तेज दिमागों में शुमार हैं। बहरहाल यह एक अच्छी शुरुआत है कि किसी खिलाड़ी को भारत रत्न मिलेगा। इसे देर से लिया हुआ एक सही फैसला कहा जा सकता है।


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