Ads

Ads
Ads

यो तो ऐसे ही चालेगी



स्मिता मिश्र

अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति द्वारा भारतीय ओलंपिक संघ पर लगा निलंबन बरकरार रखने की खबर आई। इस खबर को पढ़ने के बाद बरबस ही भारतीय ट्रकों के पीछे लिखा हुआ स्लोगन याद आ गया- यो गाड्डी तो ऐसे ही चालेगी। इस स्लोगन से भारतीय खेल संघों के प्रशासकों और ट्रक चालकों की कार्य पद्धति में काफी समानता नजर आई,जहाँ नियम और कायदों को अपने ढंग से  समझा और समझाया जाता है। कुछ ऐसा ही काम भारतीय खेल संघ कर रहे हैं।

भारतीय खेल संघों में भ्रष्टाचार अनियमितताओं एवं दागी पदाधिकारियों के चलते अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने पिछले वर्ष भारतीय ओलंपिक संघ को चेतावनी दी थी कि वे इन तमाम अनियमितताओं को दूर करते हुए खेल संघों में सही चुनाव कराए। लेकिन इस नसीहत को दरकिनार करते हुए दागी व्यक्तियों को संघ के पदाधिकारियों के रूप में चयनित किया गया, जिसका परिणाम अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति से निलंबन के रूप में आया। 

इस निलंबन का खामियाजा सबसे ज्यादा उन खिलाड़ियों को उठाना पड़ेगा जो अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में देश का प्रतिनिधित्व करने का सपना लेकर वर्षों से साधना कर रहे हैं। निलंबन के चलते ये खिलाड़ी भारतीय ध्वज नहीं बल्कि आईओसी के ध्वज तले प्रदर्शन करेंगे और देश अपने ही खिलाड़ियों को अपना नाम नहीं दे पाएगा। 

यही नहीं जब कोई भारतीय खिलाडी पदक जीतेगा तो न तो भारतीय धुन बजेगी और न ही भारतीय तिरंगा फहराया जाएगा और न ही वह खिलाडी किसी शासकीय पुरस्कार कानूनन हकदार होगा। अंतर्राष्ट्रीय ओलिंपिक समिति की किसी भी बैठक में भारतीय प्रतिनिधि नहीं होगा, किसी भी प्रतियोगिता में खेल सम्बन्धी विरोध दर्ज करने का हक भी किसी भारतीय खेल संघ के पास नहीं होगा। यानि स्थिति जितनी ख़राब दिखती है उससे कही ज्यादा बदतर होंगी। जब पिछले महीने आईओसी के अधिकारी भारत आए तो यह उम्मीद जगी कि निलंबन हटने में अब ज्यादा समय नहीं, लेकिन सत्ता मोह न छोड़ पानेवाले पदाधिकारियों ने दागी और चार्जशीट शब्दों को जो साफ-सुथरा अर्थ आईओसी अधिकारी को समझाने का प्रयास किया वह उन्हें कतई समझ नहीं आया और निलंबन नहीं हटा। 

हद तो यह है कि भारतीय ओलंपिक संघ और खेल संघों के पदाधिकारी अभी भी अपनी हठधर्मिता नहीं छोड़ रहे और कह रहे हैं कि हम तो अपने ही कानून से काम करेंगे। अब जरूरत है कि देश का कानून आगे आये   और जो कार्य खेल संघ नहीं कर पा रहा है उसे देश और खिलाड़ियों के हित में पूरा करे ताकि आनेवाली पीढ़ी की खेल के प्रति आस्था बनी रहे।

No comments: