रिटायरमेंट हो तो सचिन जैसी
कुलविंदर सिंह कंग
सचिन तेंदुलकर क्रिकेट से रिटायर हो गए। ये बात शायद सभी को पता है और अगर फिर भी दो चार लोग ये कहें कि उन्हें नहीं पता तो इसका मतलब वो लोग कुछ ज्यादा ही ‘नून -तेल-लकड़ी’ के चक्कर में फंसे होंगे बेचारे! सचिन जाते-जाते भी न्यूज चैनल् और समाचार पत्रों को दो महीने तक का मसाला दे ही गए थे। चलो अब छोड़ो! बेचारे सचिन को भी कुछ देर आराम करने दो। पहले तो खुद चौबीस साल तक अर्जुन की आंख क्रिकेट रूपी मछली पर टिकाए रखी और अब समय आ गया कि वो ये देखें कि अपने पुत्तर अर्जुन की आंख क्रिकेट पर कितना टिक पाती है।
अब जब सचिन रिटायर हो गए तो मैंने भी सोचा कि रिवर्स किक अब बहुत लिख ली, अब मुझे भी रिटायर हो जाना चाहिए। सचिन तो अपनी मर्जी से खेला और रिटायर हुआ लेकिन यहां मेरी मर्जी नहीं चलेगी। किसी भी दिन संपादिका महोदया ‘रिवर्स किक’ का शटर डाऊन कर सकती है। क्यों न इज्जत से निकल ले वैसे भी एक झटका तो लग ही चुका है।
सचिन तो मात्र 24 साल ही खेला है लेकिन मुझे तो यहां लिखते हुए 365 दिनों से भी ज्यादा हो चुके हैं। मैंने अपनी रिटायरमेंट की मंशा अपनी पत्नी के सामने जाहिर की तो वो तुनक कर बोली ‘रहने दो.. बाकी सब चीजों में तो पहले ही रिटायर जैसे दिखते हो, एक ये कलम ही तो है जो थोड़ा बहुत घिस लेते हे घिसते रहो।’ मैं थोड़ा दृढ़ था। मान लो अगर मैं रिटायर होता हूं तो क्या मुझे भी सचिन जैसी विदाई मिलेगी? कलम छोड़ते वक्त मैं तो भावुक होकर शायद अपनी छाती ही पीटने लगूं। लेकिन क्या तुम भी मेरी विदाई में आंसू बहाओगी? वो और तुनक कर बोली “मैं तो अपनी विदाई में ना रोई थी.. अब क्या रोऊंगी?” मैं जल भुन गया। उस दिन तो सचिन के आंसू देखकर ये भी चुन्नी के कोने से अपनी आंखे पौंछ रही थी और मेरी बारी में आंखे ही रेगिस्तान बना लेगी।
खैर मन मार कर मैंने दूसरा सवाल पूछा। क्या मेरी विदाई पर इस अखबार के मालिकों को मेरे ऊपर सीरिज छापनी चाहिए या नहीं? सीरिरिरिजज!! वो जोर से हंसी। अरे आर्टिकल छपने के बाद तुम्हारे इतना फोन करने के बाद तो जाकर तीन चार अंक इकठ्ठे पटक जाते हैं। वो तुम्हारे ऊपर क्या सीरीज छापेंगे। मुझे बड़ा गुस्सा आया यार मेरी पत्नी मेरी विदाई से ज्यादा ‘रास्ते से हटाई’ कार्यक्रम बनाने पर तुली हुई है। मैं तो ये सोच रहा था कि मेरी विदाई कार्यक्रम दिखाने पर टीवी पर विज्ञापनों की लाइन लग जाएगी। लेकिन मेरी बीवी बोली विज्ञापनों की लाइन छोड़ों बिजली केबिल की लाइन में लगकर बिल भरो वर्ना बत्ती गुल हो जाएगी। हवा में मत उड़ो, धरती पर आ जाओ। सचिन बनने की कोशिश न करो। सचिन कोई नहीं बन सकता। अगले को भारत रत्न मिला है।
सचिन का कद इतना ऊंचा हो गया है.. कुछ अंदाजा है क्या? मैंने कहा कद तो उतना ही है पांच फीट दो इंच। कोई कद बढ़ाने वाली दवा मिली है क्या? अब बीवी भड़क गई वैसे भड़की तो वह हरदम रहती है। यहां कुछ ज्यादा ही ताव खा गई। जानते हो सचिन ने कितने रिकॉर्ड तोड़े हैं। हां जानता हूं तोड़-फोड़ ही की है.. बेचारी निरीह गेंद को पीट-पीटकर भारत रत्न ले गया। मेरी तरह
व्यंग्य की दो लाइनें लिख कर दिखाए तो मानू। अब मुझे सचिन मेरे और मेरी बीवी के बीच विलेन जैसा लगने लगा। माना सचिन का कोई मुकाबला नहीं और मुझे वो किसी भी मुकाबले में मानती नहीं। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि मैं अपने निर्णय से हट जाऊं। मैं किसी भी दबाव में आना नहीं चाहता था। पैर पटकर वहां से जाने के लिए जैसे ही टर्न हुआ धड़ाम से डबल बैड से नीचे जा गिरा और मेरी आंख खुल गई। अब लगा कि लेखक कभी रिटायर नहीं होता। हां हाई से हाई सपने देखने का अधिकार तो किसी को भी हो सकता है। ठोको ताली। चलो, रहने दो!
सचिन तेंदुलकर क्रिकेट से रिटायर हो गए। ये बात शायद सभी को पता है और अगर फिर भी दो चार लोग ये कहें कि उन्हें नहीं पता तो इसका मतलब वो लोग कुछ ज्यादा ही ‘नून -तेल-लकड़ी’ के चक्कर में फंसे होंगे बेचारे! सचिन जाते-जाते भी न्यूज चैनल् और समाचार पत्रों को दो महीने तक का मसाला दे ही गए थे। चलो अब छोड़ो! बेचारे सचिन को भी कुछ देर आराम करने दो। पहले तो खुद चौबीस साल तक अर्जुन की आंख क्रिकेट रूपी मछली पर टिकाए रखी और अब समय आ गया कि वो ये देखें कि अपने पुत्तर अर्जुन की आंख क्रिकेट पर कितना टिक पाती है।
अब जब सचिन रिटायर हो गए तो मैंने भी सोचा कि रिवर्स किक अब बहुत लिख ली, अब मुझे भी रिटायर हो जाना चाहिए। सचिन तो अपनी मर्जी से खेला और रिटायर हुआ लेकिन यहां मेरी मर्जी नहीं चलेगी। किसी भी दिन संपादिका महोदया ‘रिवर्स किक’ का शटर डाऊन कर सकती है। क्यों न इज्जत से निकल ले वैसे भी एक झटका तो लग ही चुका है।
सचिन तो मात्र 24 साल ही खेला है लेकिन मुझे तो यहां लिखते हुए 365 दिनों से भी ज्यादा हो चुके हैं। मैंने अपनी रिटायरमेंट की मंशा अपनी पत्नी के सामने जाहिर की तो वो तुनक कर बोली ‘रहने दो.. बाकी सब चीजों में तो पहले ही रिटायर जैसे दिखते हो, एक ये कलम ही तो है जो थोड़ा बहुत घिस लेते हे घिसते रहो।’ मैं थोड़ा दृढ़ था। मान लो अगर मैं रिटायर होता हूं तो क्या मुझे भी सचिन जैसी विदाई मिलेगी? कलम छोड़ते वक्त मैं तो भावुक होकर शायद अपनी छाती ही पीटने लगूं। लेकिन क्या तुम भी मेरी विदाई में आंसू बहाओगी? वो और तुनक कर बोली “मैं तो अपनी विदाई में ना रोई थी.. अब क्या रोऊंगी?” मैं जल भुन गया। उस दिन तो सचिन के आंसू देखकर ये भी चुन्नी के कोने से अपनी आंखे पौंछ रही थी और मेरी बारी में आंखे ही रेगिस्तान बना लेगी।
खैर मन मार कर मैंने दूसरा सवाल पूछा। क्या मेरी विदाई पर इस अखबार के मालिकों को मेरे ऊपर सीरिज छापनी चाहिए या नहीं? सीरिरिरिजज!! वो जोर से हंसी। अरे आर्टिकल छपने के बाद तुम्हारे इतना फोन करने के बाद तो जाकर तीन चार अंक इकठ्ठे पटक जाते हैं। वो तुम्हारे ऊपर क्या सीरीज छापेंगे। मुझे बड़ा गुस्सा आया यार मेरी पत्नी मेरी विदाई से ज्यादा ‘रास्ते से हटाई’ कार्यक्रम बनाने पर तुली हुई है। मैं तो ये सोच रहा था कि मेरी विदाई कार्यक्रम दिखाने पर टीवी पर विज्ञापनों की लाइन लग जाएगी। लेकिन मेरी बीवी बोली विज्ञापनों की लाइन छोड़ों बिजली केबिल की लाइन में लगकर बिल भरो वर्ना बत्ती गुल हो जाएगी। हवा में मत उड़ो, धरती पर आ जाओ। सचिन बनने की कोशिश न करो। सचिन कोई नहीं बन सकता। अगले को भारत रत्न मिला है।
सचिन का कद इतना ऊंचा हो गया है.. कुछ अंदाजा है क्या? मैंने कहा कद तो उतना ही है पांच फीट दो इंच। कोई कद बढ़ाने वाली दवा मिली है क्या? अब बीवी भड़क गई वैसे भड़की तो वह हरदम रहती है। यहां कुछ ज्यादा ही ताव खा गई। जानते हो सचिन ने कितने रिकॉर्ड तोड़े हैं। हां जानता हूं तोड़-फोड़ ही की है.. बेचारी निरीह गेंद को पीट-पीटकर भारत रत्न ले गया। मेरी तरह
व्यंग्य की दो लाइनें लिख कर दिखाए तो मानू। अब मुझे सचिन मेरे और मेरी बीवी के बीच विलेन जैसा लगने लगा। माना सचिन का कोई मुकाबला नहीं और मुझे वो किसी भी मुकाबले में मानती नहीं। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि मैं अपने निर्णय से हट जाऊं। मैं किसी भी दबाव में आना नहीं चाहता था। पैर पटकर वहां से जाने के लिए जैसे ही टर्न हुआ धड़ाम से डबल बैड से नीचे जा गिरा और मेरी आंख खुल गई। अब लगा कि लेखक कभी रिटायर नहीं होता। हां हाई से हाई सपने देखने का अधिकार तो किसी को भी हो सकता है। ठोको ताली। चलो, रहने दो!
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