बजट का अर्थशास्त्र और खेल
स्मिता मिश्र
अच्छे दिनों का
वादा कर 16वीं लोकसभा में बहुमत हासिल करने वाली मोदी सरकार का पहला बजट इस माह में आया।
इस बजट पर आम आदमी के साथ-साथ, सियासी जमात, मीडिया और दुनिया
भर के देशों की नजरे टिकी हुई थीं।यह बजट इसलिए भी कौतूहल का विषय बन गया था कि
लगभग तीन दशकों के बाद गठबंधन के दबाव से मुक्त पूर्ण बहुमत वाली सरकार आई है।
पूर्व शासन से
विरासत में मिली खराब अर्थव्यवस्था, जनता को दिए अनेक चुनावी लॉलीपॉप और अधूरी योजनाओं के कारण यह तय माना जा रहा
था कि सरकार को डगमगाती अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए लोक लुभावन नहीं बल्कि
कड़े कदम उठाने होंगे। पिछले दो
वर्षों में देश की विकास दर काफी प्रभावित हुई है। रुपया गिरता गया है, रोजगार के अवसर सृजित
नहीं हुए हैं।
मोदी को सत्ता तक
पंहुचाने में युवा वर्ग का सबसे ज्यादा हाथ रहा है। इसलिए मोदी के बजट में युवाओं
के व्यक्तित्व विकास और उनकी रोजगार में संभावनाएं बढ़ाने के लिए स्किल इंडिया
योजना पर जोर दिया गया है। केवल अतिरिक्त आईआईटी या आईआईएम ही नहीं बल्कि उनके लिए
विशेष कार्य कुशलता और उद्यमिता विकास के साथ-साथ उनकी प्रतिभा
को उभारने की बात को भी बजट में रेखांकित किया गया है। खासकर खेल के क्षेत्र में इस
बार बजट में भारी वृद्धि की गई है। 2014-15 बजट में 1769 करोड़ रुपए की राशि खेलों के विकास के लिए आबंटित की गई है। बचपन से ही खेल
प्रतिभाओं को चयनित कर उन्हें प्रशिक्षित करना और उसी संस्थान में उनके लिए कैरियर
काउंसिलिंग को अत्यंत महत्त्व दिया गया है इसीलिए एन चुनाव से पहले शुरू किये गए ‘राजीव गांधी खेल
अभियान’ को 105 करोड़ से घटाकर 20 करोड़ रुपए ही
दिए गए हैं। जम्मू कश्मीर के लिए 200 करोड़ तो
पूर्वोत्तर और सिक्किम के लिए 192.63 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा गया है जिनमें जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर के
क्षेत्रों में खेल स्टेडियम सहित कई अन्य सुविधाओं के विकास योजनाएं शामिल हैं।
साथ ही मणिपुर में 100 करोड़ रूपए की लागत का खेल विश्वविद्यालय भी स्थापित करने की योजना बनाई गई हैI ग्लासगो
राष्ट्रमंडल खेलो और दक्षिण कोरिया में होने वाले एशियाई खेलों के लिए 100 करोड़ रुपये की
मंजूरी दी गयी है I
खेलों के विकास के लिए ये कदम निश्चित रूप से स्वागत
योग्य हैं क्योंकि खेलों का सीधा सम्बन्ध देश के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से
जुड़ता है I सरकार जितना ज्यादा ग्रास रूट के स्तर पर खेलों पर खर्च करेगी, उसे उतना ही
चिकित्सा सेवाओं पर कम खर्च करना पड़ेगा Iजितना ज्यादा लड़कियों को खेल के मैदान पर लाने
की योजना क्रियान्वित करेगी उतना ही महिला सुरक्षा,विकास आदि पर
पैसा कम व्यय होगा I इसके साथ ही
सरकार को ‘भारतीय प्रशासनिक
सेवा’ की तर्ज़ पर ‘भारतीय खेल सेवा’ भी प्रारंभ करने
की योजना बनानी चाहिए ताकि खेल संगठनों,फेडरेशन आदि पर भी स्किल्ड प्रतिभा आ सके I
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