वर्तमान परिदृश्य में खेल पत्रकारिता
डॉ. स्मिता मिश्र
दो दशक पूर्व तक स्थानीय मैदानों पर खेले जाने वाले खेल और खिलाडी को समाचार पत्र कवर करते थे जिससे स्कूल कॉलेज के उदीयमान खिलाडियों को बढ़ावा मिलता था किन्तु अब सिर्फ़ क्रिकेट या फिर प्रायोजित खेलों की खबर आती है या फिर ऐसे अंतर्राष्ट्रीय खेलों के बारे में छपता है जिसका कोई कनेक्ट यहाँ से नहीं होताI क्रिकेट को छोड़कर अन्य किसी भी खेल की स्थानीय और राष्ट्रीय खबरों या अंतर्राष्ट्रीय उपलब्धि को ज्यादातर अँग्रेज़ी के अख़बार जगह नहीं देतेI पीआर एजेंसीज ने तमाम खेल संघों के प्रचार का कार्य संभाल लिया है जिसके अपने फायदे और नुक्सान हैI जहाँ दुसरे खेल भी छपने लगे है वहीँ मूल पत्रकारिता की न्यूज़ वैल्यू घट गयी हैI लेकिन एक महत्वपूर्ण परिवर्तन यह आया है कि खेल को कवर करने वाली पत्रकार बिरादरी में महिलाओं की संख्या में काफी इजाफा हुआ हैI दूसरा बेहतर परिवर्तन वैकल्पिक मीडिया के कारण आया है, जिसमें ‘स्पोर्ट्स क्रीड़ा’ जैसे समाचार पत्र निश्चित रूप से रेखांकित करने योग्य है जोकि अन्य खेलों और महिला खिलाडियों को प्रमुखता से कवर करते हैI इसी प्रकार सोशल मीडिया, ब्लॉगिंग भी मुख्य धारा की पत्रकारिता में आई रिक्तता को भरने का प्रयास कर रहे हैंI यह सच है कि समय के साथ स्थितियां परिवर्तित होती है, पर साथ ही यह भी बड़ा सच है कि समय अपना न्याय भी करता चलता है।
अभी हाल ही में
संपन्न अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेले में खेल पत्रकारिता के बदलते स्वरुप को लेकर हुई विचार गोष्ठी की सोशल
मीडिया पर आई रिपोर्ट ने एक बहस को जन्म दिया कि आखिर खेल पत्रकारिता का वर्तमान
परिदृश्य क्या हैं? जहाँ कुछ लोग खेल पत्रकारिता को फेल पत्रकारिता
के रूप में मूल्यांकन करते हैं, वहीँ कुछ लोगों का मानना है कि खेल पत्रकारिता के मायने
सिर्फ़ क्रिकेट पत्रकारिता रह गये हैं, अन्य खेलों के लिए किसी भी अख़बार या चैनल मे कम ही जगह बची हैI
दरअसल आज डिजिटल मीडिया का युग हैI खेल हो या फिर कोई अन्य क्षेत्र की पत्रकारिता, सभी में सूचना लेने, उसे निर्मित करने और वितरित
करने के तरीकों में भारी परिवर्तन आया हैI सभी माध्यमों में
रिपोर्टिंग अन्य माध्यमों पर निर्भर करने लगी है, या यूँ कहे
कि प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और न्यू मीडिया की पारस्परिक
निर्भरता बढ़ी हैI लेकिन संकट असली वह है जहाँ खेल पत्रकारिता
के मूल्यों से भी समझौता हो जाता हैI इसके लिए जहाँ मीडिया स्वामित्व जिम्मेदार है, वहीँ स्वयं पत्रकार
भी जिम्मेदार है। पहले खेल पत्रकार खेलों के मैदानों में जाते थे, लेकिन आज आधे से अधिक खेल पत्रकारों को खेल के मैदानों के बारे में पता भी नहीं होगा। आज के पत्रकार क्रिकेट और क्रिकेट खिलाड़ियों को कवर करने में ही अपने कर्तव्य की इतिश्री मानते हैं। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया
का कैमरा तो उन्ही चेहरों से गुजरता है जो लोकप्रिय हैं या सनसनी वाले समाचारों से
जुड़े हैं, क्योंकि इन्ही चेहरों से टीआरपी बढ़ने में मदद
मिलती है I
दो दशक पूर्व तक स्थानीय मैदानों पर खेले जाने वाले खेल और खिलाडी को समाचार पत्र कवर करते थे जिससे स्कूल कॉलेज के उदीयमान खिलाडियों को बढ़ावा मिलता था किन्तु अब सिर्फ़ क्रिकेट या फिर प्रायोजित खेलों की खबर आती है या फिर ऐसे अंतर्राष्ट्रीय खेलों के बारे में छपता है जिसका कोई कनेक्ट यहाँ से नहीं होताI क्रिकेट को छोड़कर अन्य किसी भी खेल की स्थानीय और राष्ट्रीय खबरों या अंतर्राष्ट्रीय उपलब्धि को ज्यादातर अँग्रेज़ी के अख़बार जगह नहीं देतेI पीआर एजेंसीज ने तमाम खेल संघों के प्रचार का कार्य संभाल लिया है जिसके अपने फायदे और नुक्सान हैI जहाँ दुसरे खेल भी छपने लगे है वहीँ मूल पत्रकारिता की न्यूज़ वैल्यू घट गयी हैI लेकिन एक महत्वपूर्ण परिवर्तन यह आया है कि खेल को कवर करने वाली पत्रकार बिरादरी में महिलाओं की संख्या में काफी इजाफा हुआ हैI दूसरा बेहतर परिवर्तन वैकल्पिक मीडिया के कारण आया है, जिसमें ‘स्पोर्ट्स क्रीड़ा’ जैसे समाचार पत्र निश्चित रूप से रेखांकित करने योग्य है जोकि अन्य खेलों और महिला खिलाडियों को प्रमुखता से कवर करते हैI इसी प्रकार सोशल मीडिया, ब्लॉगिंग भी मुख्य धारा की पत्रकारिता में आई रिक्तता को भरने का प्रयास कर रहे हैंI यह सच है कि समय के साथ स्थितियां परिवर्तित होती है, पर साथ ही यह भी बड़ा सच है कि समय अपना न्याय भी करता चलता है।
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