पैसा बढ़ा, संकल्प नहीं।
डॉ. स्मिता मिश्र
प्रत्येक वर्ष फरवरी का मौसम
जहां वसंत लेकर आता है वहीं बजट भी लेकर आता है। जैसे वसंत आने से पहले अपने आगमन की सूचना मिल जाती है, वहीं
बजट के भी आने से पूर्व तमाम कयासों की हलचले मच जाती हैं।
बजट कैसा होगा? कठोर होगा या लोक लुभावन, इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि आम चुनाव कब हैं या सरकार के
शासन के कितने वर्ष हुए हैं। यदि चुनाव निकट ही होने वाले है या फिर निर्वाचित
सरकार का पहला बजट है तो उसकी बानगी कुछ और होती है। यदि चुनाव होने वाला है या
अभी-अभी हुआ है तो बजट का रूप लोक लुभावन होता है, लेकिन यदि
चुनाव निकट नहीं है तो फिर बजट में ‘नरमी’ कम होती है।
वर्ष 2016-17 का बजट इस दूजे
किस्म का ही है। इस बजट में अब वायदे नहीं, यथार्थ की
चुनौतियां है। इसलिए पिछले बजट के आक़र्षक वायदे यहां अनुपस्थित हैं लेकिन पिछले
वायदों को यथार्थ की चुनौतियां का सामना करने का भाव है। खेल के क्षेत्र में
वर्तमान बजट कुछ नया लेकर नहीं आया है। वित्त मंत्री के बस्ते में से कुल 1562
करोड़ रुपए खेल मंत्रालय के लिए निकले जोकि गत वर्ष की तुलना में 50.87 करोड़ रुपए
अधिक है। भारतीय खेल प्राधिकरण के लिए आवंटित राशि 381.30 करोड़ रही, जोकि गत वर्ष की तुलना में 11.91 करोड़ अधिक है।खेल संस्थाओं के लिए यह
बजट अधिक सफल रहा जहां 545.90 करोड़ रुपए की भारी राशि आवंटित की गई। हालांकि
डोपिंग के लिए 12 करोड़ की राशि जस की तस रही।
उत्तरपूर्व के लिए बहुत
उत्साहजनक यह बजट नहीं रहा जहां गत वर्ष की 150.23 करोड़ की राशि का इस बजट में
घटा कर 144.98 करोड़ रुपए कर दिया गया। पिछले वर्ष जहां वित्त मंत्री ने
उत्तरपूर्व को एक सशक्त ‘खेल जोन’ के रूप में विकसित करने का
संकल्प लिया था जिसके लिए मणिपुर में खेल विश्वविद्यालय की स्थापित करने का
प्रस्ताव रखा गया था। किंतु वित्त मंत्री का यह संकल्प एक वर्ष बाद भी अमली जामा न
पहन सका। गत वर्ष में उत्तर-पूर्व खेलों के लिए एक मात्र उपलब्धि दक्षिण एशियाई
खेलों का सफलतापूर्वक आयोजन करना ही है।
दरअसल लंबे समय के बाद सत्ता
में आई सरकार या पहली बार सत्ता में आई सरकारों में अपने को स्थापित करने की
हड़बड़ी होती है,जिसके चलते वे अनेकानेक ऐसे वायदे करते जाते
हैं जिन्हें तय समय सीमा में पूरा करना संभव नहीं होता है। लेकिन फिर भी यह तो
ज़रूर है कि यदि सरकार के पास ‘विजन’ हो और इच्छा
शक्ति भी हो तो एक साल और खेल जगत प्रतीक्षा कर लेगा। लेकिन इच्छा शक्ति की दृढ़ता
अवश्य होना चाहिए।
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