गुल्ली डंडा प्रीमियर लीग
कुलविंदर सिंह कंग
हम ये लीग शुरू करने जा रहे हैं, अगर किसी को इसमें फ्रैंचायजी टीम बनानी हो तो ‘केयर
ऑफ स्पोर्ट्स क्रीड़ा’ हमसे संपर्क किया जा सकता है।गुल्ली
डंडे के खेल से मुझे बचपन से ही प्यार है। विशेष तौर पर डंडे से गहरा नाता उस समय
से ही जुड़ गया था जब स्कूली दिनों में स्पोर्टस टीचर लहरा-लहरा कर मुझ पर डंडों की बरसात कर दिया करते
थे। बिना किसी बात के ही प्रतिदिन दो चार डंडे हमारे विभिन्न अंगों पर बरसा देना
उनके बायें हाथ का खेल था। आजकल डंडा चलाना तो दूर टीचर खुद स्टूडेंट्स से डरते
हैं। स्कूली दिनों में हमें कितने डंडे पड़े, इसका कोई
रिकॉर्ड भी नहीं रखा जाता था, वर्ना आज आर.टी.आई. डालकर
स्कूल से वह रिकॉर्ड निकलवा सकते थे और हो सकता है कि हमें बेवजह पड़े डंडों की
संख्या सचिन तेंदुलकर के कुल रनों से भी ज्यादा होती।
बात शुरू की थी गुल्ली डंडा
प्रीमियर लीग की। यहां पर मैं एक बात स्पष्ट कर दूं कि जब क्रिकेट, हॉकी, बैडमिंटन, कुश्ती,
फुटबॉल, कबड्डी जैसे खेलों की लीग शुरू हो
सकती है तो गुल्ली डंडे की क्यों नहीं? 251 रूपए में स्मार्ट फोन की तरह आप लोग भी इसे शक की नजरों से देख रहे होंगे... वैसे एक बात मैं
स्पष्ट कर दूं कि वो फोन ऑन लाइन बुक होता है और हमारी लीग ‘ऑन स्ट्रीट’ खेली जाएगी। अपना-अपना गुल्ली
डंडा लाइए और हमारे द्वारा बताई गई सड़कों पर जमकर खेले। हरेक गुल्ली जीपीएस
सिस्टम से कंट्रोल की जाएगी, जिस कारण फील्डिंग में कोई
परेशानी नहीं होगी। इस खेल को रात में भी खेला जा सकता है क्योंकि बाकी दिल्ली का
तो पता नहीं पर हमारे एनडीएमसी जोन के लक्ष्मी बाई नगर में तो लाइट कभी भी नहीं
जाती है । यहां की लाइट को कभी भी ‘लाइटली’ नहीं लिया जाता है। हमारे मोहल्ले की मार्किट में किसी ने इंवर्टरों की
दुकान खोली थी, लेकिन बेचारे को बंद करके भागना ही पड़ा।
मेरे विचार में गुल्ली डंडा के
बेहतरीन खिलाड़ी हरियाणा और राजस्थान के गांवों में से ही मिलेंगे क्योंकि
ज्यादातर संभावित खिलाड़ियों ने तो हाल ही में ‘डंडे’ का बेहतरीन ट्रॉयल करके दिखलाया भी है। गुल्ली डंडा प्रीमियर लीग में
खेलने के कई फायदे भी है। इस लीग में खेलने वाले खिलाड़ी भविष्य में राजनीति भी
ज्वॉइन कर सकते हैं क्योंकि जब आप गुल्ली पर निशाना साध कर उसे दूर पंहुचाने में
पारंगत हो जाएंगे तो विरोधियों को निशाना बनाना और भी आसान हो जाएगा। ये खेल महंगा
भी नहीं है और खेलना भी आसान है। जब खेल खत्म हो जाए तो गुल्ली जेब में डालिए और
डंडा हवा में लहराते हुए कुत्तों से बचते बछाते घर लौट जाइए। एक बार ये लीग शुरू
हो गई तो जान पहचान के बल पर हम गुल्ली डंडा संघ के अध्यक्ष बन कर विदेशों में
विश्व कप आयोजित करवाएंगे और सरकारी खर्च पर विदेश भ्रमण भी हो जाएगा। प्रायोजक तो
हमारे पास परमानेंट है ही.. ‘स्पोर्ट्स क्रीड़ा।’ उद्घोषणाएं भी कितनी आकर्षक होंगी- “स्पोर्ट्स क्रीड़ा प्रेजेंट्स..
गुल्ली डंडा प्रीमियर लीग.. वगैरा वगैरा..।”
खिलाड़ी इसमें भी नीलाम होंगे..
परंतु पैसा उनको नहीं मिलेगा बल्कि वे लोग हमें पैसा देने के बाद ही खेल सकेंगे।
इस लीग को शुरू करने के नाम पर सरकार से इस आधार पर आर्थिक मदद मांगेगे कि हम लोग
एक प्रकार से लुप्तप्राय ग्रामीण खेल को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं। सरकार
को गुप्त रूप से ये भी समझा दिया जाएगा कि जब भी वे लोग हार कर विपक्ष में बैठेंगे
तो हमारे टीम के सभी खिलाड़ी किसी न किसी रूप में उनकी मदद भी करेंगे। खेलने के
अलावा डंडे को कई ‘और’ तरीके से भी प्रयोग में लाया जा
सकता है, इसका ताजा उदाहरण हमने देख भी लिया है।
भविष्य में हम लोग जंगलों को
काटने से बचाने के लिए प्लास्टिक का गुल्ली डंडा बनाएंगे, जिसके लिए वन विभाग खुशी-खुशी हमें आर्थिक मदद भी दे देगा क्योंकि इस खुशी
के बीच में ही कहीं उनकी ‘खुशी’ भी छिपी है। वन विभाग के बाद
हमारी नजर जल विभाग पर होगी क्योंकि घिसी हुई प्लास्टिक की गुल्लियां उनको टिकाई
जा सकती है। पानी का बिल समय पर नहीं भरने वालों की पानी की सप्लाई काटने के लिए
भी इन गुल्लियों का प्रयोग किया जा सकता है। पाइप काटो गुल्ली ठोक दो..। अर्थात
चारों तरफ से पैसा पानी की तरह बहने लगेगा। ये लीग क्रिकेट को भी पीछे छोड़ सकती
है। बस्स ! आप लोगों की मदद की जरूरत है।
आजकल इतनी लीग चल रही हैं कि
साल भर का खेल कलैंडर बिजी है। कोई दिल देने की बात करता है तो कोई उकसाता है कि ‘ले पंगा।’ हमारी इस लीग में किसी तरह का
कोई पंगा नहीं होगा। बड़ी ही लचीली लीग होगी जो कि साल भर ही चलेगी। जिन दिनों कोई
भी लीग नहीं चल रही होगी.. उन दिनों हमारे खिलाड़ी अपना-अपना गुल्ली डंडा लेकर
सड़कों पर उतर आएंगे.. खेलने के लिए। ये खेल जरा टेढ़ा है.. इसलिए इसका सीधा
प्रसारण भी नहीं हो सकता है..। बस्स ! थोड़ा इंतजार करें.. शुभारंभ की तिथि
जल्द ही घोषित कर दी जाएगी।
जय हो गुल्ली डंडा प्रीमियर लीग
!
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