बाबाओं का विराट युग
कुलविंदर
सिंह कंग
आज
के युग में कई तो तथाकथित बाबा है और कुछ ‘सदैव छक्का हिट’ बाबा हैं जिनका ‘विराट’ रूप सबको अपनी
छत्रछाया में लेता जा रहा है। यद्पि उसके पास अनुष्का ‘शर्मा’ भी है लेकिन रन बनाने में भी नहीं
‘शरमा’ रहे हैं। क्रिकेट
में जब आये थे तब तो बड़े ही ‘क्यूट बाबा’ थे लेकिन अब सबसे विराट बाबा होते जा रहे हैं। विरोधी
गेंदबाजों, क्षेत्ररक्षकों, कोचों और यहां तक कि उससे जलने वालों ने ‘उस वाले’ बाबा के बताए समोसे
भी ‘निर्मल’ भाव से खाकर देख लिए
लेकिन इसने हरेक को कड़ाही में बिना तेल डाले ही तल के रख दिया। समोसे को उधेड़ने
के बाद प्लेट में जिस तरह से मसाला बिखर जाता है, उसी तरह सबकी गेंदों को बिखेर कर
रख दिया है।
क्रिकेट बोर्ड वाले सभी बड़े-बड़े बाबाओं की तो ‘तेरहवीं’ पहले से ही हो चुकी
है.. और ऊपर से इस बार आई.पी.एल.
क्रिकेट टूर्नामेंट की भी ‘दसवीं’ है.. ओह! माफ कीजिएगा.. दसवां संस्करण है। विराट बाबा रॉयल
चैलेंज के खिलाड़ी हैं और आप तो जानते ही हैं कि इन दोनों का नशा सिर चढ़कर बोलता
है।
भारतीय क्रिकेट बोर्ड की जो दशा और दिशा है, उसे तो कोई ‘निर्मल’ सा बाबा ही अपने
टोटके से ठीक कर सकता है। सत्तर साल से ज्यादा की उम्र वाले उन सभी बोर्डिय बाबओं
को ‘सुप्रीम’ नजर लग गई.. जिनकी
नजर तो पहले से ही कमजोर थी। ये बेचारे स्टेडियम में बैठे-बैठे अपनी धुंधली नजर
चीयर लीडर्स के ठुमकों पर टिकाए बैठे थे कि अचानक एक ऐसा ‘झटका’ लगा कि सारे के सारे ‘हलाल’ हो गए।
यहां पर निर्मल से बाबा की ‘समोसा टेकनीक’ भी कोई मदद नहीं कर
सकती है। बच्चा नालायक निकले तो घर के बड़े लोग जमानत करवा लाते हैं.. परंतु यहां
तो बड़े बुढ़ऊ ही बेचारे ऐसे नॉन बेलेबल कांड में फंसे हैं कि विराट बाबा भी कुछ
नहीं कर सकते हैं। जेल में तो बेल थी यहां पर तो पूरी तरह से फेल हो गए। जेल से तो
बच गए लेकिन सन्यास आश्रम की ओर भेज दिए गए हैं और वहां से वापसी का एक ही रास्ता
है और वो सीधा ‘ऊपर
की ओर’ जाता है। हम तो
चाहेंगे कि भगवान इनकी उम्र लंबी करें। यदि भगवान इनकी उम्र 70 साल से छोटी कर दें
तो ही ये लोग वापस कुर्सियों पर बैठ सकते हैं.. परन्तु पिराबलम्ब ये है कि हम लोग
इनकी उम्र ‘छोटी’ करने की दुआ भी तो
नहीं मांग सकते क्योंकि भगवान ने कहीं हमारी दुआ का दूसरा मतलब निकाल लिया तो ‘इन्हें’ लेने के देने पड़
जाएंगे।
ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह ने कहा है कि सचिन विराट कोहली से
ज्यादा अच्छे बल्लेबाज है क्योंकि उन्होंने अधिक खतरनाक गेंदबाजों का सामना किया
है। सचिन भाजी की प्रतिभा पर तो कोई भी प्रश्न नहीं उठा सकता है.. लेकिन भज्जी भाजी
से कोई पूछे कि आज दूसरे बल्लेबाज भी तो उन्हीं गेंदबाजों का सामना कर रहे हैं फिर
वे विराट जितने रन क्यों नहीं बना पा रहे हैं? विराट से उसका श्रेय नहीं छीना
जा सकता। आपको तो आजकल ‘गीता’ का उपदेश मिलता है.. लेकिन आप दूसरों को तो ना सुनाओ। वहां
निर्मल बाबा बोलता है यहां विराट का बल्ला बोलता है। अगर समोसे खाने से रन बनते तो
प्रत्येक खिलाड़ी हलवाई की दुकान पर ही खड़ा होता या फिर हरेक मैदान की बाऊंड्री
पर हलवाई ही बैठे होते। हर ओवर के बाद गेंदबाज एक समोसा गटक कर ही अगला ओवर
फेंकता।
हमारे विराट बाबा और उसकी टीम को किसी की नजर लग गई, जो
वे लोग पहले टैस्ट मैच में ऑस्ट्रेलिया से तीसरे ही दिन 333 रनों से हार गए। शायद
निर्मल बाबा ने ऑस्ट्रेलिया वालों को अपने समोसे डॉलरों में बेच दिए होंगे। कोई
बात नहीं..। मैं हूं ना। आजकल बाबाओं की बहार है.. मेरे पास भी समोसा टेकनीक की
काट है। भारतीय टीम को बस इतना करना है कि समोसे लाकर खुद नहीं खाने बल्कि मुझे
यानी ‘कंग बाबा’ को खिलाने है, किरपा
आनी शुरू हो जाएगी। अगले टैस्ट मैच के पहले दिन इतना करें कि सुबह नहा-धोकर मैदान
पर टॉस के लिए जाए और पहले टॉस जीते। टॉस जीतना आसान है। शोले फिल्म वाला वो
सिक्का मंगवा ले जो कि दोनों तरफ से एक सा था.. पक्का टॉस जीत जाएंगे। पहले बैटिंग
करें.. अंपायर आउट दे तो बाहर न जाएं वहीं मैदान पर लेट जाए.. इस प्रकार से भारत
के भी आठ दस खिलाड़ी मैदान पर लेटे होंगे तो उनकी फील्डिंग बिगड़ जाएगी और हारने
से बच जाएंगे।
कहो। कैसा लगा मेरा आइडिया..। बेकार लगा ना.. इसलिए ही
तो कंग बाबा कह रहे हैं कि इधर-उधर की बाते छोड़ों.. मेहनत से खेलों.. वापसी पक्की
है। किरपा आनी शुरू हो जाएगी। बोलो कंग बाबा की जय।
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