स्पोर्ट्स क्रीड़ा पहुंचा मॉरीशस/
विश्व हिन्दी सम्मेलन
के मेजबान देश मारीशस में लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स में दर्ज स्पोर्ट्स क्रीड़ा ने
अपनी उपस्थिति दर्ज की। विश्व धरोहर के रूप में संरक्षित मॉरीशस के ली मार्न पर्वत
के नेपथ्य में समुंद्र तट पर स्पोर्ट्स क्रीड़ा का अद्भुत लोकार्पण कार्यक्रम हुआ।
समाचार-पत्र का लोकापर्ण मॉरीशस क्रिकेट संघ के सचिव और महात्मा गाँधी संस्थान के प्राध्यापक डॉ. कृष्ण कुमार झा ने
किया।

डॉ. कृष्ण कुमार झा
ने मॉरीशस की खेल परंपरा को पर्यटन और मनोरंजन को जोड़ा। उन्होने कहा कि गिरमिटिया
मजदूरों ने मॉरीशस का निर्माण किया। उन्होंने अकथनीय संघर्ष करके अपने अस्तित्व,
अपनी संस्कृति और अपनी भाषा की रक्षा की। उन्होंने सांस्कृतिक चिन्हों की पहचान
में संघर्ष में खेल हाशिए पर रहा। लेकिन समुद्र से घिरा होने के कारण तैराकी जीवन
रक्षक कौशल के रूप में तो विकसित हुई किंतु प्रतिस्पर्धात्मक खेल के रूप में इस के
विकास का अभाव ही रहा। हालांकि आज फुटबॉल,
बॉक्सिंग आदि खेलों में अंतरराष्ट्रीय नक्शे पर आने की कोशिश कर रहा है। डॉ
झा ने कहा कि क्रिकेट चूंकि सभी ब्रिटिश
उपनिवेशक देशों में खेला जाता है उस तरह से मॉरिशस में क्रिकेट बहुत लोकप्रिय नहीं
है जैसा कि भारत में । लेकिन हमारे नवगठित संस्था प्रयास कर रही है कि मॉरीशस में
भी क्रिकेट को लोकप्रिय बनाया जाए।
इस अवसर पर स्पोर्ट्स
क्रीड़ा की संपादक डॉ. स्मिता मिश्र ने कहा कि मॉरीशस चारो ओर से समुद्र से घिरा
हुआ है। लेकिन इसके बावजूद मॉरिशस अभी तक वाटर-स्पोर्ट्स में अंतरराष्ट्रीय स्तर
पर महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल नहीं कर पाया है। इसका मुख्य कारण है कि यहां
वाटर-स्पोर्ट्स का कंप्टीशन के अनुरूप विकास नहीं हुआ है, बल्कि इसे फुर्सत में
खेले जाने वाले खेल के तौर पर देखा जाता रहा है। इसका एक कारण यह भी है कि मॉरीशस
एक पर्यटन देश के रूप में अधिक प्रसिद्ध है जहां वाटर-स्पोर्ट्स को पर्यटन का
लुभाने के तौर पर ही विकसित किया गया है।
लिम्का बुक ऑफ
रिकार्ड के कंसलटेंट डॉ. सुरेश कुमार ने स्पोर्ट्स क्रीड़ा समाचार-पत्र की हाशिए पर पड़े खेलों और खिलाड़ियों की कवरेज में
मुख्य भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि मॉरीशस ने 1984 के लॉस एंजलिस
खेलों में सर्वप्रथम भाग लिया था। मॉरीशस ने अभी तक विंटर ओलंपिक्स में भाग नहीं
लिया है। मॉरीशस ने अपना पहला और अभी तक का एकमात्र पदक कांस्य पदक बॉक्सिंग में
जीता है। जो कि बीजिंग ओलंपिक में ब्रूनों जूने ने सेमीफाइनल में पहुंच कर हासिल
किया था। जबकि राष्ट्रमंडल खेलों में मॉरीशस 1958 से भाग ले रहा है। अब तक एक
स्वर्ण, 5 रजत और 6 कांस्य पदक जीत चुका है।
भारत से प्रकाशित
हिन्दी साहित्यिक पत्रिका अंजुरी के संपादक बी के
शर्मा ने डॉ. झा को अंगवस्त्रम से सम्मानित किया वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय की
प्रोफेसर डॉ. नीलम लौ ने डॉ झा को स्मृति चिन्ह भेंट किया।यह
कार्यक्रम विश्व धरोहर के रूप में संरक्षित ले-मौर्ने पर्वत के समक्ष विद्यमान
खूबसूरत समुद्र तट पर आयोजित किया गया I ले-मौर्ने
पर्वत जहाँ मॉरिशस के दर्दनाक अतीत का साक्षी है वहीँ सामने मौजूद समुद्र तट
दुनिया के सबसे सुन्दर तटों के रूप में
विद्यमान है I अतीत और वर्तमान के खूबसूरत वितान के बीच स्पोर्ट्स क्रीड़ा का
लोकार्पण अपने आप में अनूठा अनुभव रहा I
अस्मि

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