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सायना बनी दूसरी महिला पदक विजेता, क्रिकेट जीत की चमक पड़ी फीकी

सायना अपने कांस्य पदक के साथ
ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है कि जिस देश में मीडिया ने क्रिकेट को एक धर्म का दर्जा दिला दिया है। वहां भारत के क्रिकेट सीरीज जीतने पर भी उसकी खबर अखबारों और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में ज्यादा चर्चा की विषय नहीं बन पाई। यह सब हुआ सायना नेहवाल के ओलंपिक में पदक जीतने के कारण। सायना और भारतीय क्रिकेट टीम ने एक ही दिन जीत दर्ज की, लेकिन सायना की जीत क्रिकेट टीम की जीत पर भारी पड़ी। सायना के कांस्य पदक की चकाचौंध के आगे भारतीय क्रिकेट टीम की सीरीज जीतने की चमक फीकी पड़ गई।  

खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित साइना से देश को स्वर्ण पदक की उम्मीद थी, लेकिन वह स्वर्ण पदक से चूक गई। स्वर्ण पदक से चूकने के बाद भी कांस्य पदक की उम्मीद बरकरार थी। उसी उम्मीद पर खरे उतरते हुए सायना ने कांस्य पदक अपने नाम किया। इस पदक के साथ वह भारत की दूसरी महिला खिलाड़ी बन गई हैं। जिन्होंने ओलंपिक में पदक जीता है। इससे पहले भरोत्तोलन में करनाम मलेश्वरी ने 2000 सिडनी ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था। इस बात की उम्मीद पहले से जताई जा रही थी कि इस बार कोई न कोई महिला खिलाड़ी पदक जरूर जीत कर आएगी। यह बात सही साबित हुई। 2010 में विश्व रैंकिंग में दूसरे स्थान पर रह चुकीं साइना 2010 राष्ट्रमंडल खेलों में बैडमिंटन में स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं।

कांस्य पदक के लिए चीनी खिलाड़ी वैंग जिन और भारतीय खिलाड़ी सायना नेहवाल के बीच हुए इस मुकाबले को भुलाना इतना आसान नहीं है। इस मैच में पहले दौर में चीनी खिलाड़ी 21-18 से आगे थी लेकिन दूसरे दौर में चोट के कारण उन्हें मुकाबला बीच में ही छोड़कर जाना पड़ा और सायना के विजयी घोषित कर दिया गया। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सायना को यह पदक यू ही मिल गया। यहां तक पहुंचनेवाली वह भारत की पहली बैडमिंटन खिलाड़ी है, इससे ही उनकी मेहनत का अंदाजा लगाया जा सकता है।
     

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