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सचिन की नीयत पर सवाल क्यों?



दिलीप कुमार

दुनिया को रंगमंच की तरह देखा जाए, तो यहाँ प्रत्येक इंसान रंगमंच की तरह ही भूमिका निभाता नज़र आता है। प्रत्येक इंसान के ऊपर अपनी भूमिका को बेहतर ढंग से निभाने का स्वाभाविक दबाव रहता है। जानबूझ कर कोई असफल नहीं होना चाहता, फिर भी कुछ लोग कुछ भूमिकाओं को बेहतर ढंग से निभाने में सफल हो जाते हैं, तो कुछ एक भी भूमिका सही ढंग से नहीं निभा पाते, वहीं कुछ विरले हर भूमिका में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते दिखाई देते हैं। जाहिर है, ऐसे इंसान को देख कर हर कोई आश्चर्यचकित रह ही जायेगा,  तभी ऐसे इंसान को लोग विशेष सम्मान देने लगते हैं। सचिन रमेश तेंदुलकर को भी निर्विवाद रूप से भारतीय ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में फैले क्रिकेट प्रेमी विशेष सम्मान देते हैं। सम्मान के साथ उनके पास वह सब भी है, जिसकी आम आदमी कल्पना तक नहीं कर सकता। ऐसे में उन पर यह आरोप लगाना कि सचिन देश के लिए नहीं, बल्कि खुद के लिए खेलते हैं और जानबूझ कर सन्यास नहीं ले रहे हैं, सही नहीं लगता।

क्रिकेटर के रूप में सचिन तेंदुलकर को दुनिया जानती है,  इसलिए पहले सचिन की  प्रकृति और व्यवहार के बारे में बात करते हैं। क्रिकेट की दुनिया में भगवान का स्थान पा चुका यह शख्स आज भी आम नागरिक की तरह ही सोचता है। जहां सभी पैसे के पीछे भगते नजर आते हैं वहीं सचिन ने समाजिक कामों में पैसे को कभी आड़े नहीं आने दिया। पानी बचाने का सन्देश देने का विज्ञापन करने का ऑफर उनके सामने आया, तो उन्होंने मुफ्त में किया, इसी तरह टाइगर सुरक्षा का संदेश देने की बात आई, तो भी उन्होंने विज्ञापन करने का एक रुपया नहीं लिया। सचिन को एक शराब कंपनी ने भी विज्ञापन करने का ऑफर दिया और छोटे से विज्ञापन के बदले एक  करोड़ रूपये देने को कहा, लेकिन उन्होंने शराब कंपनी से यह कहते हुए साफ मना कर दिया कि इससे देश के युवाओं को गलत संदेश जायेगा, इसलिए वह ऐसे प्रचार का माध्यम नहीं बनेंगे। इसी तरह सचिन ने आईपीएल के दौरान किंगफिशर का विज्ञापन करने से भी मना कर दिया था।

मृदुभाषी सचिन हमेशा विवादों से दूर रहे हैं। कई बार लोग उनके बारे में उल्टा-सीधा बोल जाते हैं, पर उन्होंने कभी पलट कर  कुछ नहीं कहा। उन्होंने हमेशा अपने विरोधियों को अपने खेल से जवाब दिया। वर्तमान टीम में वह सीनियर खिलाड़ी हैं और टीम में कई चेहरे ऐसे हैं, जिन्होंने  सचिन को देख कर क्रिकेट सीखा है, पर इतने जूनियर खिलाडिय़ों को कभी ऐसा नहीं लगता कि वह दुनिया के महान खिलाड़ी के साथ खेल रहे हैं। जूनियर खिलाड़ी उनके साथ मजाक या शरारत करने में हिचकते हैं, पर सचिन अपनी ओर से पहल कर ऐसे खिलाडिय़ों की झिझक दूर कर देते हैं। तभी बीस साल बाद भी वह टीम के सबसे अधिक शरारती खिलाडिय़ों में से एक माने जाते हैं।

क्रिकेट की बात करें, तो सर्वाधिक शतक, सर्वाधिक रनों के साथ अन्य अधिकाँश  रिकॉर्ड सचिन के ही नाम पर ही दर्ज हैं। अमेरिका की प्रतिष्ठित पत्रिका मानी जाने वाली टाइम पत्रिका में स्थान पाना यदि सम्मान की बात है, तो वह भी सचिन तेंदुलकर को स्थान देने के लिए मजबूर हो गयी थी। टाइम ने ग्वालियर के कैप्टन रूप सिंह स्टेडियम में 24 फरवरी 2010 को दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध बनाये दो सौ रनों के विश्वस्तरीय कीर्तिमान को विशेष पल करार दिया था। कुल मिलाकर सचिन के पास आज सब कुछ है। सभी को याद होगा कि टीम इंडिया के कप्तान की भूमिका में वह स्वयं को सहज महसूस नहीं कर पा रहे थे, तो उन्होंने खुशी-खुशी कैप्टन पद छोड़ दिया था। ऐसे ही जिस दिन उन्हें यह अहसास हो जाएगा कि उनमें टीम इंडिया में खेलने लायक ऊर्जा नहीं बची है, उस दिन वह संन्यास लेने के लिए किसी अन्य के सुझाव का इन्तजार नहीं करेंगे और बेवजह सचिन की नीयत पर सवाल उठाना सही नहीं है।

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