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खेल के मैदान में खूनी खेल



सन्नी गोंड़

बॉस्टन मैराथन में हुए धमाके ने सभी को हिला कर दिया। आंतक अपनी बात कहने के लिए कैसे-कैसे रास्ते चुनता है यह बात इस धमाके से साफ हो गई है। खेलों ने हमेशा दिलों को जोड़ने का काम किया है। वह चाहे कहीं भी हो। भारत-पाक रिश्तों की गाड़ी जब पटरी से उतरी थी तो उसे भी वापस पटरी पर लाने के लिए क्रिकेट का ही सहारा लिया गया था। लेकिन खेल और खिलाडि़यों पर हमला कर इसे अपनी बात कहने का एक जरिया बनाया जा रहा है।

पूरे विश्व में कई यादगार मौकों पर मैराथन दौड़ आयोजित की जाती है। मैराथन दौड़ कई सामाजिक कार्यों के लिए भी आयोजित की जाती की है। इन्ही मैराथन दौड़ों में बॉस्टन मैराथन का नाम सबसे पुराना है। अप्रैल के तीसरे सोमवार को आयोजित होनेवाली यह मैराथन देशभक्ति दिवस के मौके पर की जाती है। यह विश्व का सबसे पुराना वार्षिक मैराथन है। यह 1897 से लगातार दौड़ी जा रही है। 1896 में हुई पहली ओलंपिक मैराथन के बाद इसे शुरू किया गया था। इसके साथ ही स्लोवाकिया में आयोजित कोसीसे मैराथन और दक्षिण अफ्रिका में कॉमरेड्स मैराथन प्रथम विश्व युद्ध में शहीद हुए नागरिकों की याद
में आयोजित की जाती है। लेकिन पिछले दिनों बॉस्टन मैराथन अपनी खूबियों के कारण नहीं बल्कि वहां हुए धमाकों के कारण सुर्खियों में आई। मैराथन दौड़ के फिनिश लाइन के करीब
सिलसिलेवार दो धमाके हुए। इसमें तीन लोगों की मौत हुई वहीं 140 के करीब लोग घायल हुए।

बॉस्टन धमाके से जहां आम जनता आहत हुई वहीं सबसे ज्यादा इससे खिलाड़ी धक्का लगा है। पूर्व धावक रॉजर रॉबिनसन मैराथन को सद्भावना का प्रतीक मानते हैं। उनका कहना है कि यह दुनिया का अकेला ऐसा खेल है जिसमें आपके प्रतिद्वंदी आपके गिरने पर आपको उठा भी देते हैं। इसपर हमला होने का मतलब है सामाजिक सद्भावना पर हमला। वहीं एक अन्य धावक स्टीव क्रेम का कहना है कि इस घटना से हम सभी हैरान है कि उन्होंने बॉस्टन मैराथन जैसे आयोजन को क्यों चुना? कई बार लगता है कि खेल इस तरह के हमलों से दूर है लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा फिर हो जाता है।

अमेरिका में 9/11 के बाद यह दूसरी ऐसी वारदात हुई है। 9/11 के बाद अमेरिका ने अपनी सुरक्षा व्यवस्था काफी कड़ी कर दी थी जिसकी कई बार आलोचना तक हुई। लेकिन उस कारण वह आतंकी घटनाओं को रोकने में कामयाब रहा। आतंक समाज के हर क्षेत्र में अपने पैर पसार रहा है। खेल और खिलाड़ी भी इससे अछूते नहीं है। ऐसा पहले भी कई बार हुआ जिसमें खेल और खिलाड़ियों को निशाना बनाया गया।

2008 श्रीलंका मैराथन
2008 में श्रीलंका के नए साल के मौके पर मैराथन का आयोजन किया गया था। लेकिन एक आत्मधाती बॉम्बर ने मैराथन शुरू होने के समय बम बलास्ट कर दिया। इस धमाके में 14 लोग मरे और सौ से ज्यादा लोग घायल हुए। मरने वाले लोगों में श्रीलंका के हाइवे मंत्री जयाराज फर्नानडोपुले, पूर्व ओलंपिक मैराथन धावक केए करुणारतने और राष्ट्रीय धावक कोच लक्ष्मण डी आल्विस भी शामिल थे।

2009 श्रीलंका बनाम पाकिस्तान क्रिकेट मैच
पाकिस्तान दौरे पर गई श्रीलंका क्रिकेट टीम बस से स्टेडियम जा रही थी। तभी बस पर आतंकियों ने हमला बोल दिया। आतंकियों ने गोलियां, रॉकेट और ग्रेनेड जैसे हथियार दागे। इस हमले में 6 पुलिसकर्मी सहित कुल आठ लोग मरे। इसमें श्रीलंका टीम के छह सदस्य बुरी तरह घायल हुए। इस हमले के बाद से ही पाकिस्तान में कोई भी टीम खेलने जाने से कतराने लगी।

1972 म्यूनिख ओलंपिक
1972 ओलंपिक के दौरान ब्लैक सितंबर नाम के पेलिस्टियन उग्रवादी संगठन ने तेल अविव कि जेलों में कैद 234 कैदियों की रिहाई की मांग को लेकर इजरायली ओलंपिक टीम के 11 सदस्यों को बंधक बनाया और उनकी हत्या कर दी। इस घटना के बाद आधुनिक ओलंपिक के इतिहास में पहली बार ओलंपिक को स्थगित कर दिया गया।

1996 अटलांटा ओलंपिक
अटलांटा का सेनटीनल ओलंपिक पार्क 1996 ओलंपिक के टाउन स्क्वायर के रूप में डिजाइन किया गया था। 27 जुलाई को हजारों लोग यहां एक सार्वजनिक समारोह के लिए एकत्र हुए। लेकिन अमेरिका के एक पूर्व सेना अधिकारी ने यहां बम प्लांट किया था। इस धमाके में दो लोग मारे गए जबकि 120 लोग घायल हुए।

2002 पाकिस्तान और न्यूजीलैंड क्रिकेट मैच
पाकिस्तान के कराची के शेराटन होटल के बाहर आत्मघाती हमले के बाद न्यूजीलैंड ने अपना पाकिस्तान दौरा बीच में रद्द कर दिया था। इसी होटल में न्यूजीलैंड की टीम ठहरी थी। इस हमले में फ्रांसीसी नौसेना के 11 सदस्यों और पाक टीम के दो फिजियोथेरेपिस्ट सहित कुल 14 लोग मरे थे।

2002 चैंपियंस लीग
2002 में चैंपियंस लीग के एक सुंदर मुकाबले ने उस समय भद्दा रूप ले लिया जब सेमीफाइनल शुरू होने से पहले मेड्रीड स्टेडियम के पास एक कार में धमाका हुआ। इस धमाके को अंजाम बास्क अलगावादी संगठन ईटीए ने अंजाम दिया था। 

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