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आप की खेल दुनियां


कुलविंदर सिंह कंग


नए साल में सब लोगों ने तमीज सीख ली है.. अब एक दूसरे को आप-आप कहके बुलाते हैं। इस नए खेल को आप भी समझ गए होंगे? नया साल है तो खेल भी नए ढंग का ही होना चाहिए। ये एक ऐसा खेल शुरू हुआ है, जिसने सबको टोपी पहना दी है। सारे राजनैतिक लोग तमीजदार होते जा रहे हैं। लाल बत्तियां उतर गई..बिजली सस्ती और पानी फ्री हो गया है। लेकिन नए साल में खेलों की दुनियां के उन लोगों का क्या होगा जिनका पहले से ही पानी उतरा हुआ है? पानी तो अब जाके मुफ्त हुआ है ये लोग तो सालों से मुक्त हैं, अपनी चला रहे हैं बेचारे खिलाड़ियों की चलने ही कहां दे रहे हैं। आप ने बता दिया कि राजनीति का खेल कितना गजब है। सुधारने पर आओ तो क्या चीज नहीं सुधर सकती.. लेकिन हम यहां स्पष्ट कर दें कि वो राजनीति का खेल है। यहां खेलों में राजनीति है। खेलों में एक ही वॉल थी.. राहुल द्रविड़ वो भी चली गई। लेकिन खेलों के जो हालात है उसे देखते हुए यहां अब वॉल नहीं बल्कि कोई केजरीवाल चाहिए.. जो गंदगी को निकाल सके। खेलों में जहां भी देखों आपा धापी मची है।

आपा धापी में आपा में आ की मात्रा हटा दी जाए तो रह जायेगा आप और धापी की बड़ी ई की मात्रा हटा दी जाए तो रह जाएगा धाप। राजस्थानी भाषा में धाप का अर्थ होता है भरपेट। उदाहरण मैं तो रोटी जीमती जीमती धाप गी। खेलों में जिन लोगों ने आपा धापी मचा रखी है वे लोग कई सालों से खा खाकर धाप गए हैं। दुखी लोगों को अब एक ही गीत गाना चाहिए। आप जैसा कोई मेरी जिंदगी में आए तो बात बन जाए। वर्ना आज तक तो सभी बाप ही बने हुए हैं। कई लोग तो पाप में भी तब्दील हो चुके हैं और अब तिहाड़ में बैठे जाप कर रहे हैं।

खेल को खेल की भावना से खेलों पंडित जवाहर लाल नेहरू की ये बात आज कल के माहौल में फिट नहीं बैठती। अब खेल और खेल भावना वो नहीं रही जो सन् इक्यावन में हुआ करती थी। खिलाड़ी तो बेचारे आज भी अखाड़ों में धूल चाट रहे हैं। लेकिन पदाधिकारी धूल की बजाय मलाई चाट रहे हैं। 

सन 2014 खेलों से भरा साल है। राष्ट्रमंडल खेल ग्लासगो में होने है, जहां पहुंच कर ग्लास में वो डालकर पीने की तमन्ना लिए हर बंदा जुगाड़ लगाने में व्यस्त है। ये कॉमन वैल्थ गेम्स है, जहां कॉमन वैल्थ इसी तरह तो बंटती है। जैसे 2010 में नई दिल्ली में बंटी थी। ज्यादातर लोगों को तो थोड़ी-थोड़ी यानि माडी-माडी मलाई ही मिली थी। बाकी तो कलमाड़ी ही खींच ले गया था। अब यहां ग्लासगो में ग्लास में वो और वो के बाद फिर वो कौन होगी इसके फैसले होने बाकी है। मैडल शैडल आप जानो या आपका काम जाने। विश्व कप हॉकी हालैंड में है और एशियाई खेल कोरिया के शहर इचियोन में है और जुगाडू लोगों की हथेली में इचिंग अभी से ही होने लग गई है। 

ये साल, पूरे साल ही माला माल। देखना जिस झाडू से भ्रष्टाचार मिटाने की बात हो रही है.. कमाने वाले भी नए रास्ते निकाल कर पैसा बटोरने के लिए भी उसी झाडू का प्रयोग करेंगे। सच मानना केवल साल बदला है लोग थोड़े ना बदले हैं। झाडू का अपना अपना यूज और मिस यूज है। मिस को तो शायद अब विदेश में ही यूज किया जा सकता है। वर्ना यहां तो ऐसा कानून बन गया है कि जरूरत पड़ने पर आदमी अपनी बीवी को भी बहन बोलने पर मजबूर हो जाएगा। आप समझ गए ना?   

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